नजर नहीं आईं वह आंखें जो दिखती थीं अटल के साथ
बांके बिहारी और राधाकृष्ण थे उनके यौवन के समय के हमजोली, सांसद हेमा मालिनी के थे अटल मुरीद पर वह भी नहीं पहुंच पाईं
जासं, मथुरा: अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा में युवा कार्यकर्ता तो नजर आए पर नजर नहीं आईं वह आंखें जो अटलजी के यौवन के दिनों में कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ नजर आती थीं। अटलजी की अस्थिकलश यात्रा में लोगों की निगाहें भाजपा के वरिष्ठ नेता बांके बिहारी माहेश्वरी, राधाकिशन खंडेलवाल और सांसद हेमामालिनी को खोजती रहीं पर वह कहीं नहीं दिखीं। इससे भाजपा की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर उजागर हो गई।
जनसंघ से लेकर भाजपा के गठन और पहली बार सत्ता में पार्टी के पहुंचने तक अटलजी अक्सर मथुरा आते थे। इस दौरान उनका दो ही स्थानों पर अधिकांश ठिकाना हुआ करता था। पहला स्वामी घाट स्थित बांके बिहारी माहेश्वरी और दूसरा जगन्नाथपुरी स्थित राधाकृष्ण खंडेलवाल का निवास। अटलजी के मथुरा से चुनाव लड़ने के दौरान सारी योजनाओं का खाका बांकेजी के घर ही खींचा जाता था। आगरा से दिल्ली जाते समय अक्सर यहां से गुजरते समय जब भी भोजन की इच्छा होती थी बांकेजी के यहां पहुंच जाते थे। इमरजेंसी में जब अटलजी की रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हुआ तो वह पहले तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थित गेस्ट हाउस के कमरा नंबर तीन में रुके बाद में जगन्नाथ पुरी स्थित राधाकृष्ण खंडेलवाल के आवास पर पहुंच विश्राम लिया। अटलजी सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी के मुरीद थे। हेमा मालिनी जब पहली बार संसद पहुंची थीं तो अटलजी उन्हें देख शरमा गए थे। आज जब अटल जी की अस्थि कलश यात्रा शहर से गुजरी तो यह शख्सियत कहीं नजर नहीं आईं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व पालिकाध्यक्ष बांकेबिहारी माहेश्वरी के पुत्र रवि माहेश्वरी ने बताया कि अटलजी के अस्थि कलश यात्रा के मथुरा आने की कोई जानकारी बाबूजी को नहीं थी। पार्टी के किसी नेता ने अटलजी के समकक्ष नेता रहे बाबूजी को सूचना देना मुनासिब नहीं समझा। तब की भाजपा और अबकी भाजपा में बड़ा अंतर आया है। बिना सूचना के किसी कार्यक्रम में जाना अब बाबूजी का स्तर नहीं रह गया है। अटलजी के अस्थिकलश के अंतिम दर्शन न कर पाने से बाबूजी अंतर्मन से बहुत दुखी हैं।