आलू की फसल को पाले से बचाने को शराब का छिड़काव
शराब के बहुत सारे प्रयोगों के बारे में आपने सुना होगा लेकिन खेती-किसानी में भी इसका प्रयोग किसान धड़ल्ले से करते हैं। इन दिनों आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए शराब और सल्फर का छिड़काव किसान कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि विभाग इसकी संस्तुति नहीं करता है लेकिन कुछ किसान ऐसा करते हैं। किसानों का कहना है कि इससे आलू की ग्रोथ अच्छी होती है साथ ही पाले से भी फसल का बचाव होता है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए शराब और सल्फर का छिड़काव किया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि विभाग इसकी संस्तुति नहीं करता है लेकिन कुछ किसान ऐसा करते हैं। किसानों का कहना है कि इससे आलू की ग्रोथ अच्छी होती है साथ ही पाले से भी फसल का बचाव होता है।
सेहत के लिए खतरनाक बताई जाने वाली शराब का खेती-किसानी में खूब इस्तेमाल हो रहा है। जिले के यमुना पार इलाके को आलू बेल्ट कहा जाता है। जिले में इस बार 16 हजार एकड़ से भी अधिक इलाके में आलू की बुवाई की गई है। बल्देव, महावन, मांट और राया, सुरीर इलाके में आलू की फसल अधिक होती है। इस समय तापमान बेहद नीचे चला गया है और सुबह फसल पर पाला जमना शुरू हो गया है। सुबह आठ बजे तक फसल पर इसका जमाव देखा जा रहा है। पाले से फसल को बचाने के लिए कुछ किसान जिब्रेलिक एसिड के साथ शराब का प्रयोग कर रहे हैं। राया इलाके के भैंसरा के आलू किसान जितेश रावत बताते हैं कि जिब्रेलिक एसिड एल्कोहल में ही घुलता है। यह एक हार्मोनिक दवा है इससे आलू की बढ़त अच्छी होती है। हालांकि किसान सल्फर के घोल का भी पाले से बचाव को छिड़काव करते हैं। भोलागढ़ के किसान सुरेश ने बताया कि शराब के छिड़काव से आलू की फसल पर कोई विपरीत प्रभाव नही पड़ता है, बल्कि उपज अच्छी होती है। केवीके के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक एसके मिश्रा का कहना है कि विभाग इसकी संस्तुति नहीं करता है। उनका कहना है कि आलू एक कंदीय फसल है, इसलिये इसके कंदों पर अभी तक किसी प्रकार की शराब के दुष्प्रभाव की जानकारी नहीं हुई है। अनुसंधान के बाद ही इसके बारे में सही जानकारी दी जा सकती है। किसानों को चाहिए कि वह इसकी जगह 2 एमएल सल्फर के घोल का छिड़काव करें। फसल में पानी दें और खेतों के चारों ओर धुआं कर सकते हैं।