सीएमओ कार्यालय से आंखफोड़वा कांड की पत्रावलियां गायब
आठ लोगों की आंखों की रोशनी जाने के बाद चार साल पहले सुर्खियों में आया था कांड जन सूचनाधिकारी तलब
मथुरा, जागरण संवाददाता। जिले का स्वास्थ्य विभाग आंखफोड़वा कांड में आंख गंवाने वाले गरीब पीड़ितों को न्याय दिलाने की बजाय आरोपितों को बचाने में जुटा है। कांड के बाद हुई जांच की पत्रावलियों के उपलब्ध न होने की बात सीएमओ कार्यालय ने आरटीआइ के जवाब में स्वीकार की है। अन्य सूचना उपलब्ध न कराने पर राज्य सूचना आयोग ने सीएमओ कार्यालय के जन सूचना अधिकारी को 24 अप्रैल को तलब किया है।
चार साल पहले चर्चित आंखफोड़वा कांड को लेकर वृंदावन कैलाश नगर निवासी हरीश शर्मा ने जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से छह बिदुओं पर सूचनाएं मांगी थी। सवाल जनवरी, 2015 में हुए आंखफोड़वा कांड से जुड़े हैं।
सीएमओ कार्यालय ने छह बिदुओं पर मांगी सूचना के जवाब में सिर्फ दो बिदुओं पर ही जानकारी उपलब्ध कराई है। बाकी चार बिदुओं पर सूचना नहीं दी गई। इस पर आरटीआइ कार्यकर्ता हरीश शर्मा ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। आयोग ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जन सूचना अधिकारी को तलब किया है। हरीश शर्मा ने आरटीआई आवेदन में पूछा गया था कि जिस नेत्र परीक्षण शिविर में लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवाई वो किस संस्था ने आयोजित किए। किसी नेत्र परीक्षण अधिकारी की संलिप्ता उजागर हुई, विभागीय जांच की जानकारी मांगी गई। इसके जवाब में जिला कार्यक्रम प्रबंधक अंधता निवारण ने जो बताया वह गैर जिम्मेदाराना है। इसमें कहा गया है कि ऑपरेशन के बाद अंधे होने की संलिप्तता के आरोपित संबंधी किसी भी नेत्र परीक्षण अधिकारी के संबंध में अभिलेखीय सूचना कार्यालय पत्रावलियों में संकलित नहीं है। आठ लोगों ने गंवाई थी आंखों की रोशनी
मथुरा: बांकेबिहारी कल्याणं करोति संस्था की ओर से 2015 में आयोजित नेत्र परीक्षण शिविर में किए गए ऑपरेशन के बाद बलदेव क्षेत्र के हबीबपुर के आठ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। विभागीय स्तर पर कई तरह की जांचों के साथ ही विभाग के आला अधिकारियों ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के दावे किए थे, पर हुआ कुछ भी नहीं। पीड़ितों के परिजनों की अब न्याय की आस भी टूट गई है।