रात में लगाते कतार, तब सुबह बनता आधार
टोकन लेने को रात दो बजे से प्रधान डाकघर पर होने लगती हलचल एक दिन में एक दिन में 50 के ही बन पाते हैं आधार कार्ड
केस 1:
फरह निवासी सुभद्रा का हाल में राजस्थान में विवाह हुआ है। बीमार पड़ने पर वहां के जिला अस्पताल से दवा लेनी चाही। मगर, आधार कार्ड बगैर दवा नहीं दी गई। बाजार से महंगी दवा खरीदने की स्थिति नहीं है। आधार कार्ड बनवाने के लिए वह बुधवार रात लगभग 3.30 बजे प्रधान डाकघर पर आकर लाइन में लग गई थीं। केस 2: औरंगाबाद निवासी 66 वर्षीय जग्गो अहमद खां भी बुधवार रात 3.45 बजे पुरुषों की कतार में बैठे थे। बताया कि वे चार साल की नातिन का आधार बनवाने के लिए आए हैं। उसका स्कूल में एडमीशन कराना है। वहीं, राशन कार्ड में जुड़वाने के लिए भी नाम देना है। इसके लिए आधार की जरूरत पड़ रही थी। यहां रोजाना लगने वाली भीड़ को देखकर रात को ही आना मुनासिब समझा। गगन राव पाटिल, मथुरा: प्रधान डाकघर के बाहर रात से लेकर सुबह तक इसी तरह की आपाधापी होती है। आधार कार्ड बनवाने के लिए भीड़ से बचने के लिए जरूरतमंद रात दो बजे से ही यहां आकर कतार में शामिल हो जाते हैं। डाकघर भले ही सुबह 10 बजे खुलता है मगर यहां एक कर्मचारी आठ बजे ही आधार कार्ड के लिए 50 टोकन बांट देता है। बाकी को फिर अगली रात कतार लगानी पड़ती है।
आधार कार्ड को लेकर जरूरतमंदों की दिक्कतें और डाकघर प्रशासन की मजबूरियों की हकीकत जानने को 'जागरण' ने बुधवार रात यहां पड़ताल की। रात करीब तीन बजे तो लोग डाकघर के बाहर आने लगे थे। भोर होते-होते बेहद अनुशासित तरीके से महिला और पुरुष अलग-अलग कतार लगाकर बैठ गए थे। इन कतारों में बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग तक थे। कतार में सबसे आगे लगे राया निवासी सौरभ ने बताया कि वे आधार कार्ड में अपने नाम को सही कराने के लिए आए हैं। सही आधार कार्ड बनने के बाद ही नेवी की भर्ती परीक्षा में बैठ पाएंगे। 11वीं कक्षा की अंजली और 10वीं में पढ़ने वाली अमीषा भी अपने पिता के साथ आधार कार्ड बनवाने को कतार में बैठी थीं। कच्ची नींद के कारण ये बार-बार ऊंघ रही थीं। इनके पिता ने बताया कि बैंकों में आधार के लिए दो-दो माह लग रहे हैं। रख दी ईंट, कतार में जगह पक्की: कतार में खड़े रहने लोगों को अगर बीच में कहीं कुछ देर के लिए जाना पड़ जाता है, तो वहां पर वे ईंट रख देते हैं। जिससे पहचान बनी रहे और कोई दूसरा आकर खड़ा न हो सके। सुबह आठ बजे बंटते टोकन: आधार बनाने के लिए डाकघर में रोजाना लगभग 50 लोगों के आधार बनाए जाते हैं। सुबह करीब आठ बजे एक कर्मचारी खासतौर पर टोकन बांटने ही आता है। जिसे टोकन नहीं मिलता वो अगली रात फिर प्रयास करता है। प्रधान डाकघर से रोजाना लगभग 70-80 लोगों के आधार बनाए व अपडेट किए जा रहे हैं। सुबह आठ बजे लगभग इतने ही टोकन बांटे जाते हैं। सुबह नौ बजे से आधार बनने का काम शुरू हो जाता है, जो कि शाम लगभग चार बजे तक चलता है।
उमराव सिंह, प्रवर डाक अधीक्षक मथुरा