उम्र के इस पड़ाव पर भी कमजोर नहीं हुए इरादे
गोवर्धन में शिक्षा की बदतर हालात देख भगवान देवी शर्मा ने शुरू किया मिशन
जागरण संवाददाता, गोवर्धन: गोवर्धन में व्याप्त अशिक्षा के घनघोर अंधेरे में भगवान देवी ने दशकों पहले शिक्षा की अलख जगाई। जब लोग महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर ताने देते थे, उन्होंने बच्चियों को पढ़ाने का मिशन जारी रखा। वर्तमान में वह 77 वर्ष की आयु में भी बिना थके बेटियों को शिक्षित करने में जुटी हैं।
भरतपुर के बल्लभगढ़ की रहने वाली भगवान देवी शर्मा की शादी वर्ष 1956 में गोवर्धन में हुई। उस समय उन्होंने इंटर पास की थी। गोवर्धन में शिक्षा के बदतर हालात देखी। मन में टीस उठी तो कृषक पति राममूर्ति शर्मा को मन की बात बताई। नेक मुहिम में पति ने साथ दिया। इसके बाद घर पर बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाने लगीं। साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। बीटीसी की डिग्री हासिल की। इसके बाद भी सरकारी नौकरी पाने का प्रयास नहीं किया।
मानसी गंगा के तट पर किराए के मकान में आदर्श शिक्षा निकेतन स्कूल खोला। उनके पढ़ाने का अंदाज धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगा। 1984 में पति राममूर्ति शर्मा की मृत्यु के बाद भी उन्होंने परिवार के साथ बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाई। यह स्कूल अब इंटर कॉलेज हो चुका है। बेटियों को शिक्षित करने के लिए वह अभी भी लालायित रहती हैं। कॉलेज में 700 लड़किया शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। नियम है कि कक्षा 6 से 8 तक की 200 बेटियों को निश्शुल्क शिक्षा दी जाती है। स्कूल की ओर से यूनीफॉर्म देने का भी प्रावधान है। बेटियों का शिक्षित होना समाज के लिए बहुत जरूरी है।
भगवान देवी शर्मा
निदेशिका
आदर्श कामिनी गर्ल्स इंटर कॉलेज, गोवर्धन