आस्था की राह में बदइंतजामी की ठोकर
जागरण संवाददाता, गोवर्धन (मथुरा): आस्था की राह आसान नहीं है। मुड़िया पूर्णिमा मेला में देश-दुनिया से आने वाले करोड़ों श्रृद्धालुओं को दो चार नहीं बल्कि सैंकड़ों समस्याओं से दो चार होना पड़ेगा। यहां श्रृद्धालुओं का स्वागत गोवर्धन के जर्जर संपर्क मार्ग करेंगे। मेले की हर तैयारियों के चौकस होने का दावा करने वाला प्रशासन विभिन्न संपर्क मार्गो की बदहाली पर मौन साधे हुए है। मथुरा से गोवर्धन जाने वाले मार्ग के अलावा लगभग हर मार्ग की हालत जर्जर है। मेले में आने वाले करोड़ों श्रृद्धालुओं को इन्हीं मार्गो से होकर गोवर्धन पहुंचना पड़ेगा।
गोवर्धन को जोड़ने वाले छाता-गोवर्धन, सौंख-गोवर्धन, छटीकरा-गोवर्धन, डीग-गोवर्धन मार्ग खस्ता हाल हैं। छाता मार्ग में गहरे गढ्डे बने हुये हैं, तो छटीकरा मार्ग के गड्ढों ने ताल, तलैया का रूप धारण कर लिया है। सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाले अलवर-मथुरा मार्ग को डाइवर्ट करके सौंख, कुम्हेर, डीग कर दिया जाता है। इस मार्ग की स्थिति बड़ी दयनीय है। सड़क पर गिट्टियां उखड़ी पड़ी हैं। आलम यह है कि गड्ढों में सड़क खोजना मुश्किल है।
मानसी गंगा के संपर्क मार्गो की तो हाल और भी ज्यादा खराब है। गत वर्ष के मुड़िया पूर्णिमा मेले के पूर्व तत्कालीन कमिश्नर अमृत अभिजात ने जल निगम के अधिकारियों को क्षतिग्रस्त संपर्क मार्गो को तत्काल सही कराने के आदेश दिये थे, परंतु जल निगम के अधिकारियों ने आदेशों को हवा में उड़ा दिया। मानसी गंगा के संपर्क मार्ग आज भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाते नजर आते हैं। लाखों श्रद्धालु इन्हीं रास्तों से मानसी गंगा का आचमन व स्नान करने के लिऐ जाते हैं।ं आस्था की राह में उन्हें ठोकर मिलती है। आस्था की नगरी में लगे कूड़े के ढेर भी प्रशासन की बदइंतजामी को बयां कर रहे हैं।
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तैयारियों पर भारी पड़ा उपद्रव
मुड़िया मेले की व्यवस्थाओं को अंजाम देने के लिए जिलाधिकारी और एसएसपी सहित जिले के विभिन्न अधिकारियों ने कई बैठक कर व्यवस्थाओं का खाका तैयार किया था। इन तैयारियों को जब मूर्त रूप देने की बारी आई तो प्रशासन कोसी हिंसा और मांट उपचुनाव में व्यस्त हो गया। अगले पखवाड़े से शुरू होने वाले इस एतिहासिक मेले की व्यवस्थाओं के नाम पर सभी विभागों के कार्य अधूरे पड़े हुये हैं।
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