धरती के अलौकिक महापुरुष थे बाबा जयगुरुदेव
सातवां पावन वार्षिक भंडारा महापर्व का आरंभदिन भर उमड़ता रहा श्रद्धा का सैलाब
जागरण संवाददाता, मथुरा: जयगुरुदेव आश्रम में जयगुरुदेव महाराज का सातवां पावन वार्षिक भंडारा महापर्व का आरंभ शुक्रवार से हो गया। दिनभर श्रद्धा का सैलाब उमड़ता रहा। सुबह संस्थाध्यक्ष पंकज महाराज के सानिध्य में गुरु वंदना, सुमिरन, ध्यान, भजन की सामूहिक साधना कार्यक्रम हुआ।
संस्था के महामंत्री एवं राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम ने सत्संग में जयगुरुदेव महाराज के जीवन वृतांत की चर्चा की। उनके कार्य व मिशन पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि वे धरती के अलौकिक महापुरुष थे। अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता की सेवा के लिये समर्पित कर दिया। मानव सुधार, समाज सुधार तथा हृदय परिवर्तन का जो काम बाबा ने कर दिखाया वह अद्वितीय है। उन्होंने आगे कहा कि परमात्मा शरीर के अंदर मौजूद दोनों आंखों के मध्य भाग से गए हुए एक मात्र दरवाजे के खोलने पर मिलेगा।
इसके अलावा गुरु महिमा, मानव जीवन की अनमोलता, श्वांसों की उपयोगिता, शाकाहार, सदाचार, मद्यनिषेध, चरित्र उत्थान, अच्छे समाज का निर्माण स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण, आत्मकल्याण, प्रभु प्राप्ति की साधना आदि विषयों पर प्रेरक संदेश सुनाया। राष्ट्रीय उपदेशक सतीश चंद्र ने बताया कि कलियुग में पिछले युगों की कठिन प्राणायाम के नियमों का पालन करना सम्भव नहीं है। उस समय की साधना विधि से कलियुग में प्रभु को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। संतों महापुरुषों ने कलियुग में जीवों कल्याण के लिए सरल सुरत शब्द योग की साधना को जारी किया। इस साधना के लिए शाकाहारी, सदाचारी और मद्यपान रहित जीवन अति आवश्यक है।
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