बांकेबिहारी को सखियों के प्रेम पत्र
जितेंद्र शर्मा, मथुरा: गोकुल से विदा हुए कान्हा से प्रेमालाप को तड़पती गोपियों-सखियों की वेदना सिर्फ
जितेंद्र शर्मा, मथुरा: गोकुल से विदा हुए कान्हा से प्रेमालाप को तड़पती गोपियों-सखियों की वेदना सिर्फ द्वापर युग की कथा तक नहीं सिमटी। वृंदावन की फिजा में कान्हा से प्रेम की वह पावन सुगंध आज भी महकती है। आज भी कृष्ण की सखियां उनका प्रेम पाने को लालायित हैं। देश भर से युवतियां-महिलाएंखुद को कन्हैया की सखी मान उसी भाव में ठाकुर श्री बांकेबिहारी को प्रेम पत्र लिखती हैं, जो डाक द्वारा ठाकुर जी तक पहुंचाए भी जाते हैं।
मई में आए भक्तों के पत्र
श्री बांकेबिहारी मंदिर के बाहर स्थित डाकघर से आए पत्र में 'राधिका सहयती नामक युवती ने अपना पता दर्ज नहीं किया, लेकिन पत्र पर पेन से दो दिल उकेरे हैं, एक में कृष्ण लिखा है और दूसरे राधिका। बीच में बनाए गए तीर के बगल में लिखा है, प्रेम बंधन। पत्र में युवती लिखती है, मेरे प्राणनाथ तुम मुझे भले ही भूल जाओ, लेकिन मैं तुम्हें नहीं भूल सकती। क्या नाराजगी है कि इतने दिन से मुझे याद नहीं किया, अपने पास बुलाया नहीं। मैं जानती हूं कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, लेकिन क्या करूं, तुम्हारे अलावा किसी और की तरफ देखने का दिल भी नहीं करता। हो सकता है तुम्हें भरोसा न हो, मगर, मैं तुम्हारे नाम का ¨सदूर लगाती हूं, तुम्हारे नाम की चूड़ियां पहनती हूं। क्या ये भी झूठ है। मैं तो बस ये जानती हूं कि सिर्फ तुम्हीं से प्रेम किया है। मेरे प्राणनाथ मुझे भूलना नहीं। तुम जहां भी रहो, खुश रहो। दुनिया तुमसे प्यार करे। तुम्हारी जनम-जनम की दासी.. राधिका।'
'एक पत्र डॉली सखी के नाम से आया है। उसमें भी पता नहीं लिखा। डॉली ने लिखा- विश्वपति मुझे पता है कि बड़े-बड़े ऋषि-मुनि, साधु-संत तुम्हें पाने के लिए तपस्या करते हैं, मगर मैं तपस्या तो कर नहीं सकती। मैं तो बस सिर्फ तुम्हें चाहती हूं। इसलिए जो करना है, वो तुम्हें करना है। मैं तुमसे मिलना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि तुम मेरी गोद में आ जाओ, मुझे धन्य कर दो।
'सहारनपुर जेल से रेलवे कॉलोनी, न्यू अर्जुन नगर, सहारनपुर निवासी अमित नारंग ने लिखा है कि सात फरवरी 2014 को मेरी पत्नी की हत्या किसी ने कर दी। मैं निर्दोष हूं, फिर भी मुझ पर दहेज हत्या का मुकदमा लगा दिया गया। मैं 25 माह से सहारनपुर जेल की बैरक नंबर छह में बंद हूं। मेरा ढाई साल का बेटा है। हे बिहारी जी, आप तो जानते हैं कि मैं निर्दोष हूं। मेरी मदद करो। मैं आपके दर्शनों को आना चाहता हूं। कैसे भी बुलाओ। अमित ने अपने मासूम बेटे की फोटो भी पत्र में चस्पा की है।'
बिहारी जी तक पहुंचता है हर पत्र
श्री बांकेबिहारी मंदिर प्रबंध समिति के प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि हर माह पंद्रह-बीस खत बिहारी जी के नाम से आते हैं। हम उन्हें पढ़कर बिहारी के चरणों में रख देते हैं। भक्त की मुराद पूरी हो जाती है, तो वह धन्यवाद के पत्र भी भेजते हैं। कुछ भक्त खुद आकर सेवायत को पत्र दे जाते हैं और वह सीधे ठाकुर जी के चरणों में पहुंचा दिया जाता है। सारस्वत कहते हैं कि श्री कृष्ण भाव के भूखे हैं, इसलिए कोई मित्र के भाव में पूजता है, तो कोई अभिभावक के रूप में। वह स्वीकार करते हैं कि युवतियां-महिलाएंउन्हें प्रेमी रूप में मानते हुए लगातार प्रेम पत्र लिखकर प्रेम का इजहार भी करती हैं।