सफाई पर रोजाना 12.73 लाख खर्चा, फिर भी शहर गंदा
मथुरा संवाद सहयोगी। नगर निगम भले भी स्वच्छ सर्वेक्षण में राष्ट्रीय पटल पर 39वीं रैंक प्राप्त कर वाहवाही लूट रहा है। मगर शहर की धरातलीय स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। जगह जगह लगे कूड़े के ढेर दुर्गंध दे रहे हैं। कई कई दिनों तक कूड़ा नहीं उठ पा रहा है। यह आलम तक है जब निगम सफाई के नाम पर साल में 45. 85 करोड़ खर्च करता है। बावजूद इसके व्यवस्था बदहाल है।
संवाद सहयोगी, मथुरा : नगर निगम भले भी स्वच्छ सर्वेक्षण में राष्ट्रीय पटल पर 39वीं रैंक प्राप्त कर वाहवाही लूट रहा है। मगर शहर की धरातलीय स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। जगह जगह लगे कूड़े के ढेर दुर्गंध दे रहे हैं। कई कई दिनों तक कूड़ा नहीं उठ पा रहा है। यह आलम तक है, जब निगम सफाई के नाम पर साल में 45. 85 करोड़ खर्च करता है। बावजूद इसके व्यवस्था बदहाल है।
दरअसल, नगर निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था पर रोजाना लाखों रुपये खर्चा करता है। इसमें सफाई कर्मचारियों के वेतन से वाहनों में डलने वाला पेट्रोल-डीजल तक शामिल है। निगम के हर रोज लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी शहर के कई इलाकों में सफाई व्यव्स्था चौपट है। इन क्षेत्रों में न तो डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली गाड़ी पहुंच रही है और नहीं सफाई कर्मचारी। इसके चलते यहां दिनभर गंदगी पसरी रहती है। कई बार लोग खुद ही सफाई करते हैं। हालांकि जिम्मेदारों को भी इसके बारे में जानकारी है। इसके बाद भी जिम्मेदार शहर को साफ व स्वच्छ बनाने में उदासीनता बरत रहे हैं।
निगम की ओर से शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर आमजन के अनुसार जो खामियां चल रही हैं उन्हें शीघ्र ही दूर किया जाएगा। शहर की सफाई व्यवस्था और सुंदरीकरण को लेकर निगम द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। रविद्र कुमार मांदड़, नगर आयुक्त
हमारे यहां तो डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली न तो गाड़ी आती है और नहीं कोई सफाईकर्मी। कॉलोनी में जगह जगह गंदगी के ढेर पड़े हुए है। इससे मच्छर पैदा होने से बीमारियों का खतरा बना रहता है। विजय सिंह, भडाना नगर
क्षेत्र की नालियां पक्की न होने से गंदा पानी सड़क पर बहता है, जिससे कीचड़ हो जाती है। कई बार राहगीर व वाहन चालक फिसलकर गिर जाते हैं। सफाई के अभाव में नालियों में कचरा जमा रहता है। राकेश सिंह, गांव महोली
कॉलोनी में रोजाना सफाई कर्मचारियों के नहीं आने से स्थानीय लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। अधिक गंदगी होने से स्थानीय लोग खुद सफाई करते हैं और नालियों से भी कचरा निकालते हैं। देवकीनंदन सैनी, कांतापुरी