आजादी के जंगजू अनार सिंह की शानदार विदाई
जागरण संवाददाता, मथुरा: भारत को परतंत्रता की बेडि़यों से मुक्त कराने के लड़ाकू अनार सिंह को सोमवार को उनके पैतृक गांव उस्फार में अंतिम विदाई दी गई। रंग-बिरंगे गुब्बारे से सजा उनका विमान निकाला गया, बैंड-बाजे ने देशभक्ति के गीतों की धुनें निकाली, गुलाल उड़ाया गया। उनकी अंतिम यात्रा में सैलाब उमड़ा रहा। पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार पर अनार सिंह अमर रहे नारे गूंजते रहे।
सोमवार सुबह उनकी अंतिम यात्रा शुरु होते ही 'बाबा अनार सिंह अमर रहे' के नारे गूंजने लगे। बैंड-बाजों और भजन-कीर्तन मंडली के साथ पूरे गांव में परिक्रमा लगाकर उनका विमान निकाला गया। उत्साही ग्रामीण तिरंगा लेकर आगे चल रहे थे।
गांव में भ्रमण के बाद उनकी अंतिम यात्रा सौंख रोड के किनारे उनके खेतों पर जाकर संपन्न हुई। यहां पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ और वैदिक रीति के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस के जवानों ने अपने हथियार झुकाकर उन्हें सलामी दी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की चिता को उनके पुत्र धर्म सिंह ने मुखाग्नि दी। दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने बल्देव विधायक पूरन प्रकाश, वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुंवर नरेंद्र सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष आबिद हुसैन, पूर्व जिलाध्यक्ष चौ. रणवीर सिंह पांडव, सपा जिलाध्यक्ष पं. गुरुदेव शर्मा, पूर्व जिलाध्यक्ष ठा. किशोर सिंह, मुकेश सिकरवार, चौ. प्रीतम प्रधान, दीपक चौधरी, ब्रजमंडल क्षत्रिय राजपूत महासभा के अध्यक्ष खजान सिंह जसावत, वीरांगना महासभा की अध्यक्षा लता सिंह चौहान, अशोक सिंह चकलेश्वर, मोहन सिंह राजपूत, अटल सिंह सिसोदिया, महावीर सिंह राजावत, दिलीप प्रधान, कुश कुमार सिंह राजावत, अनुराग सिंह चौहान, अजय सिसोदिया, उदय सिंह, रतन सिंह जसावत, नीलेश जादौन, शैलेंद्र सिंह, नरेश कृष्ण गौतम, रमेश तोमर, धर्मपाल सोलंकी, योगी ठाकुर, प्रताप सिंह, अरुण भाटी, वीर सिंह गौर, ब्रजमोहन वाल्मीकि, महेश राघव, अशफाक कुरैशी, खेमचंद शर्मा नागेश, विक्रम वाल्मीकि, अखिलेश प्रताप सिंह, भगवत सिंह रावत, सुभाष राजावत, गजेंद्र प्रधान, करतार प्रधान, बनवारी आदि ने श्रद्धांजलि दी।
फोटो एम.टी.एच. 6
..और छलक पड़े भंवर सिंह के आंसू
गोवर्धन: देश को स्वतंत्र कराने वाले नायकों में शुमार मथुरा जिला में एक मात्र जीवित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भंवर सिंह शर्मा अपने साथी अनार सिंह के निधन की खबर फफक-फफक कर रो पड़े। वर्ष 1941 में अनार सिंह के साथ एक आदोलन में मथुरा की जेल में साथ-साथ रहने की यादें उनकी अश्रुधारा रोक नहीं सकीं। हालाकि अस्वस्थता के चलते वह उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके, परंतु आजादी का यह नायक मरने से पहले भ्रष्टाचार मुक्त भारत के दर्शनों का सपना संजोये हैं।