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विश्व हाइपरटेंशन डे : साइलेंट किलर बनकर सांसें छीन रहा टेंशन

20 से 40 वर्ष की उम्र के 40 फीसद युवा उच्च रक्तचाप की चपेट में चिकित्सकों ने जारी की चेतावनी अस्पताल में बढ़ रही मरीजों की संख्या।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 09:52 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 09:52 PM (IST)
विश्व हाइपरटेंशन डे : साइलेंट किलर बनकर सांसें छीन रहा टेंशन
विश्व हाइपरटेंशन डे : साइलेंट किलर बनकर सांसें छीन रहा टेंशन

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। मानसिक तनाव और दिनचर्या में परिवर्तन सेहत को हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) सौगात में दे रहा है। जिला अस्पताल के आंकडे़ चौंकाने वाले हैं। रोजाना सामान्य ओपीडी में 60 फीसद मरीज इस बीमारी से ग्रसित मिल रहे हैं। हैरान की बात है कि मरीजों की इस भीड़ में 25 फीसद युवा हैं। रोग के बढ़ते दायरे को लेकर खुद विशेषज्ञ भी अचंभित हैं।

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जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 900 से 1100 मरीज आते हैं। गैर संचारी रोगों के जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राज विक्रम का कहना है कि रोजाना उनके पास लगभग 25 से 30 मरीज उच्च रक्तचाप की बीमारी के आ रहे हैं। इसके अलावा फिजीशियन, जनरल फिजीशियन और इमरजेंसी में भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। यह बीमारी साइलेंट किलर की तरह काम करती है। इसमें मरीज को खतरे का अंदाजा भी नहीं हो पाता है। सबसे ज्यादा मानसिक तनाव इस बीमारी का मुख्य कारण है। इसके अलावा खानपान में बदलाव और दिनचर्या में परिवर्तन भी बीमारी के लिए जिम्मेदार है। लापरवाही बरतने पर आंतरिक अंग काम नहीं करते और मरीज की मृत्यु हो जाती है। सुगर और ब्लड प्रेशर एक-दूसरे के पूरक

डॉ. राज विक्रम का कहना है कि ब्लड प्रेशर और सुगर दोनों बीमारियां साइलेंट किलर की तरह होती हैं। दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं। यदि व्यक्ति बीपी का मरीज है तो निश्चित ही उसे सुगर भी हो जाएगी और यदि सुगर लेवल प्रभावित होगा तो ब्लड प्रेशर बढ़ना स्वाभाविक है। नियमित जांच और दिनचर्या में परिवर्तन इसका सही उपचार है।

ये है मुख्य वजह

- यह जेनेटिक होता है जो अभिभावकों से अगली पीढ़ी में फैलता है।

- खान-पान में होने वाला बदलाव बीमारी को बढ़ाता है।

- दिनचर्या में परिवर्तन भी बड़ा कारक है।

- ज्यादा मसालेदार और तला-भुना भोजन घातक है।

- मानसिक तनाव हाइपरटेंशन की मुख्य वजह है। ये होते हैं दुष्परिणाम

- हाइपरटेंशन की वजह से किडनी फेल होने का खतरा 80 फीसद बढ़ जाता है।

- स्ट्रोक (लकवा) हो जाता है।

- मरीज पार्किंसन रोगी (शरीर में कंपन) हो जाता है।

- शरीर को खून पहुंचाने वाली नसें कमजोर हो जाती हैं। ऐसे कर सकते हैं बचाव

- सुबह की सैर लाभकारी होती है।

- कच्चे नमक से मरीज को परहेज करनी चाहिए।

- तली-भुनी और मसालेदार वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

- धूम्रपान और नशा करना घातक होता है।

- पर्याप्त नींद जरूरी होती है। ये बरतें सावधानियां

- मरीज की लगातार मॉनीटरिग करने के बाद ही दवा दें।

- मनमाने ढंग से दवा लेने पर हार्ट फेल हो सकता है।

- हमेशा लिटाकर ही ब्लड प्रेशर चेक करें।

- हमेशा बाएं हाथ से ही बीपी मापें।

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