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श्रमिक न मिलने से महंगी हुई गेहूं की कटाई

मैनपुरी जासं। श्रमिकों के न मिलने से इस वर्ष गेहूं कटाई महंगी हो गई है। छोटे किसान अधिक गेहूं देकर फसल कटवाने को मजबूर हो रहे हैं। बड़े किसान मशीन से गेहूं की फसल कटवा रहे हैं। इससे भूसे का नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष लाकडाउन की वजह से प्रवासी आ गए थे। इससे श्रमिक 25 किलो गेहूं लेकर एक बीघा फसल काट देते थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 06:25 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 06:25 AM (IST)
श्रमिक न मिलने से महंगी हुई गेहूं की कटाई
श्रमिक न मिलने से महंगी हुई गेहूं की कटाई

जासं, मैनपुरी: श्रमिकों के न मिलने से इस वर्ष गेहूं कटाई महंगी हो गई है। छोटे किसान अधिक गेहूं देकर फसल कटवाने को मजबूर हो रहे हैं। बड़े किसान मशीन से गेहूं की फसल कटवा रहे हैं। इससे भूसे का नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष लाकडाउन की वजह से प्रवासी आ गए थे। इससे श्रमिक 25 किलो गेहूं लेकर एक बीघा फसल काट देते थे।

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श्रमिकों की कमी से किसान परेशान हैं। श्रमिकों की कमी के चलते इस बार गेहूं काटने का भाव बढ़ गया है। पिछले वर्ष किसानों ने 25 किलो प्रति बीघा के हिसाब से गेहूं कटवाने का ठेका दिया था। इस बार श्रमिक 30 से 40 किलो गेहूं प्रति बीघा कटाई का ठेका ले रहे हैं। वहीं बड़े किसान मजदूर न मिलने से मशीन से से गेहूं कटवा रहे हैं। इससे किसानों को भूसे का नुकसान होता है।

किसानों का कहना है कि पिछले साल गेहूं की कटाई के समय दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, गाजियाबाद और नोएडा में काम कर रहे लोग लाकडाउन की वजह से अपने-अपने घर लौट आए थे। गांव में काम न मिलने से गेहूं की कटाई का ठेका 20 से 25 किलो बीघा के हिसाब से लिया था।

गांव रूपपुर के वेदपाल यादव का कहना है कि करीब दो सौ बीघा गेहूं बोया है। गेहूं काटने वाले न मिलने से 80 बीघा गेहूं मशीन से कटवाया है। शेष की कटाई का 40 किलो प्रति बीघा के हिसाब ठेका दिया है। बाहर काम करने वाले लोग पिछले साल गांव में लाकडाउन की वजह से आ गए थे। इसके चलते गेहूं की कटाई सस्ते में हो गई थी।

गांव रतिभानपुर के देवेंद्र चौहान का कहना है कि 16 बीघा गेहूं की फसल बोई थी। पिछले वर्ष प्रवासियों के आने से गेहूं कटाई का ठेका 25 किलो प्रति बीघा के हिसाब से दिया था। इस वर्ष एक बीघा गेहूं की फसल कटवाने पर 35 से 40 किलो गेहूं देना पड़ रहा है।

राजू कुशवाह का कहना है कि गेहूं काटने वालों की कमी है। पिछले साल लाकडाउन होने से बाहर काम करने वाले अपने घरों को आने लगे थे। इससे गेहूं की कटाई कम दामों में जल्दी हो गई थी।

गांव अंजनी के सौरभ चौहान का कहना है कि करीब 50 बीघा गेहूं बोया था। इसको काटने के लिए 40 किलो गेहूं प्रति बीघा के हिसाब से ठेका मजदूर ले रहे हैं। पिछले साल 30 से 35 किलो के हिसाब से गेहूं काटने का ठेका दिया था। इस वर्ष मजदूर बाहर होने से गेहूं की कटाई मंहगी है।

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पिछड़ने लगी कटाई-

जिले में पंचायत चुनावों की वजह से गेहूं कटाई का काम पिछड़ गया है। अभी भी जिले में साठ फीसद से ज्यादा फसल खेतों में कटाई को खड़ी है तो तमाम फसल कटी पड़ी हुई है। किसान रामजीलाल अब कटाई का काम तेज होने की बात कहते हैं।


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