जागरण विशेष: पूर्वजों को तर्पण, बीमारियों को मोक्ष
किशनी के गांव नैगवां में पितृ पक्ष में स्वस्थ समाज के लिए सेवा की अनूठी परंपरा तीस वर्षो से कीटनाशक दवा का किया जाता है छिड़काव होती है साफ-सफाई।
मैनपुरी, दिलीप शर्मा। पूर्वजों के मोक्ष की कामना। श्राद्ध कर सनातन परंपरा के निर्वहन की रीति। पितृ पक्ष में अपनों के लिए कृतज्ञता जताने का रिवाज पुराना है, किशनी के एक गांव में इस प्राचीन वर्जना को नए रूप में परिवर्तित करने की भी रूपरेखा करीब तीस साल पहले ही बना ली गई। पितृ पक्ष में तर्पण के लिए अनुष्ठान आदि तो करते ही हैं, इस दौरान गांव में साफ-सफाई के साथ ही कीटनाशक दवा का छिड़काव कराया जाता है। वो भी अपने खर्चे पर।
रूढि़वादी सोच के अंधेरे को नई रोशनी दिखा रहा है किशनी तहसील का गांव नैगवां। साल दो साल नहीं, पूरे तीस सालों से। वर्ष 1989 का वाकया है। पितृ पक्ष चल रहा था। गांव में वायरल संक्रमण से लोग बीमार पड़ गए। घर-घर चारपाई बिछ गई। कुछ मौतें भी हुई तो तीमारदारों में दहशत फैल गई। तब गांव के ही युवा मुनींद्र सिंह (अब उम्र करीब 62 वर्ष) ने पहल की। वो स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और चिकित्सकों को बुला लाए। बीमारों का इलाज कराया। गांव में गंदगी देख चिकित्सकों ने साफ-सफाई के लिए ग्रामीणो को जागरूक किया। बीमारी का मुख्य कारण गंदगी ही बताई। मुनींद्र सिंह के मन में ये बात बैठ गई। गांव वालों को साथ लेकर सफाई की। अपने पिता जयदेव शास्त्री के श्राद्ध की नियत तिथि पर अपने पैसे से ही गांव में कीटनाशक दवा का छिड़काव कराया। सफाई का असर ये हुआ कि बीमारी पर अंकुश लगा। लोग धीरे-धीरे खतरे से बाहर आ गए। युवावस्था से ही समाजसेवा में सक्रिय मुनींद्र सिंह साफ-सफाई को लेकर सजग रहे ही, हर वर्ष पितृ पक्ष में खासतौर पर स्वच्छता कराने के बाद कीटनाशक दवा का छिड़काव कराने लगे। बनता गया कारवां
ग्रामीणों के स्वास्थ्य के प्रति मुनींद्र सिंह का समर्पण देख गांव के कुछ युवा भी उनके साथ हो लिए। नियमित सफाई के साथ ही पितृ पक्ष में विशेष तौर पर स्वच्छता अभियान में सहभागी बन गए। मुनींद्र सिंह की मुहिम की चर्चा हुई तो आसपास के गांवों भी जागरूकता आई। नगला श्याम, नगला झड़ी और नगला सुमेर में भी पितृ पक्ष के दौरान खासतौर पर सफाई कराई जाती है। यहां के लोग अपने खर्चे से कीटनाशक दवा का छिड़काव कराते हैं। इन गांवो के रामपाल शाक्य, सोविद शाक्य, संदीप कुमार, मोनू, अबनेश शाक्य, ललित कुमार, सोनेन्द्र कुमार, विपिन कुमार, प्रदीप कुमार, अस्तेन्द्र, गिरधर, मोनू व अंकित जैसे सक्रिय युवा मुनींद्र सिंह से प्रेरित इस समाजसेवा में सहभागी बन गए हैं। खुशी है कि लोग समझने लगे
मुनींद्र सिंह कहते हैं कि निश्चित रूप से पूर्वजो द्वारा दिए गए संस्कार ही हैं जो हमें जनसेवा के लिए प्रेरित करते हैं। अब से तीस वर्ष पहले गाव में सफाई करवाई, दवा का छिड़काव कराया तो अच्छा लगा। बीमारी का असर कम हुआ तो लोगों के भी समझ में आया। अब खुशी होती है कि गांव ही नहीं, आसपास के गांवो के भी लोग स्वच्छता के प्रति सजग हो रहे हैं।