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यहां पूजे जाते हैं रणबांकुरे, हर वर्ष लगता है मेला

मैनपुरीदिलीप शर्मा। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यह

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 05:56 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 05:56 AM (IST)
यहां पूजे जाते हैं रणबांकुरे, हर वर्ष लगता है मेला
यहां पूजे जाते हैं रणबांकुरे, हर वर्ष लगता है मेला

मैनपुरी,दिलीप शर्मा। 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा' शहीदों के सम्मान में कही गईं ये चंद लाइनें मैनपुरी जिले के तहसील मुख्यालय बेवर में हर साल हकीकत बनती हैं। यहां के शहीद मंदिर में स्वतंत्रता के 26 रणबांकुरों (इनमें पांच ने आंदोलन में जान न्यौछावर की) की प्रतिमाएं हैं। यहां हर वर्ष 23 जनवरी से 19 दिवसीय शहीद मेला लगता है।

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15 अगस्त, 1942 को बेवर में भारत छोड़ो आंदोलन के तहत जुलूस निकालकर तिरंगा फहराया गया था। इस प्रयास में पुलिस की गोली से बेवर नगर के सपूत जमुना प्रसाद त्रिपाठी, सीताराम गुप्त और कृष्ण कुमार शहीद हो गए थे। जमुना प्रसाद त्रिपाठी के पुत्र जगदीश नारायण त्रिपाठी घायल हुए थे। तब वे 16 वर्ष के थे। आजादी के बाद जगदीश नारायण त्रिपाठी ने वर्ष 1971 में शहीद मंदिर बनाया। इसमें 1942 के तीनों शहीद, मशहूर स्वतंत्रता सेनानी पं. गेंदालाल और बेवर के आसपास के 26 स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित की गईं हैं। 1972 से सुभाष जयंती (23 जनवरी)पर मेला आयोजित किया जाता है, जो 10 फरवरी तक चलता है। राष्ट्रीय पर्व(26 जनवरी) पर तिरंगा यात्रा निकाली जाती है। मेले में 'एक शाम शहीदों के नाम' के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को सम्मानित किया जाता है। इसके साथ ही हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। जगदीश नारायण त्रिपाठी के इंजीनियर पुत्र राज त्रिपाठी मेले की जिम्मेदारी निभाते हैं। सियासी हस्तियां भी झुका चुकी हैं शीश

शहीद मंदिर में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं के सामने देश की कई बड़ी सियासी हस्तियां भी अपने शीश नवा चुकी हैं। यहां राहुल गांधी, सांसद राजबब्बर, दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया आदि भी आ चुके हैं। वर्ष 2005 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव यहां शहीद मेले में शामिल हुए थे। तब उन्होंने मेले को दो लाख रुपये की मदद दी थी और मेले को व्यापक रूप देने की बात भी कही थी। हालांकि, इसके बाद किसी सरकार ने मेले के प्रचार-प्रसार आदि के लिए प्रयास नहीं किए। इस बार होंगे ये कार्यक्रम:

23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शहीद मेले का शुभारंभ

24 जनवरी को सास्कृतिक कार्यक्रम

25 जनवरी को मतदाता जागरूकता कार्यक्रम

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह

27 जनवरी को पेंशनर सम्मेलन व स्वास्थ्य जागरूकता शिविर

28 जनवरी को महिला सम्मेलन

29 जनवरी को दंगल

30 जनवरी को राष्ट्रीय शहीद दिवस मंदिर में लगीं ये प्रतिमाएं

स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान होने वाले: पं. गेंदालाल दीक्षित, जमुना प्रसाद त्रिपाठी, विद्यार्थी कृष्ण कुमार, सीताराम गुप्त, कुंवर देवेश्वर तिवारी।

स्वतंत्रता सेनानी (इनमें अब कोई जीवित नहीं है): जगदीश नारायण त्रिपाठी, गया प्रसाद भारद्वाज, बाबूराम गुप्ता, नाथूराम दीक्षित, मदन मोहन, विशंभर दयाल सक्सेना, प्रो. चितामणि शुक्ला, लाला सतीश प्रसाद, परशुराम पांडे, रामनारायण आजाद, बाबूराम पालीवाल, शिव बरन लाल, हीरा लाल दीक्षित, मुंशी सिंह, करोड़ी लाल गुप्ता, स्वामी सर्वानंद सरस्वती, श्याम सुंदर लाल गुप्ता, बाबूराम झा, बाबूराम दीक्षित, देव स्वरूप नंबरदार, रामस्वरूप गुप्त।


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