जिरौली में सूख गया तालाब का पानी
जिरौली गांव के ग्रामीणों ने जल संरक्षण को पहल नहीं की है। मवेशियों के लिए समस्या बढ़ गई है।
संसू, बिछवां, मैनपुरी : जवाबदेही से नजरें चुराने का खामियाजा अब खुद गांव वालों को ही झेलना पड़ रहा है। जल क्षेत्रों में कमी की वजह से जलस्तर में गिरावट आ रही है। जिरौली में तो मवेशियों की बड़ी मुश्किल हो गई है। तालाब सूखने से मवेशियों को प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है।
विकास खंड सुल्तानगंज क्षेत्र में गांव जिरौली में तालाब की स्थिति दयनीय है। गांव के एक हिस्से पर बना कई बीघा क्षेत्रफल में फैले तालाब के किनारे किसी समय में हरियाली और पर्याप्त पानी हुआ करता था। गांव के सभी मवेशी यहां आकर अपनी प्यास बुझाते थे। बारिश के दिनों में तो तालाब लबालब रहता था, लेकिन समय के साथ लोगों ने भी इसकी देखरेख में कमी कर दी।
लोगों की अनदेखी अब जलसंकट के रूप में सामने आ रही है। तालाब के बडे़ हिस्से का पानी सूख चुका है। थोड़े हिस्से में जहां-तहां पानी भरा हुआ है। बढ़ती समस्या को दूर करने के लिए अब तक गांव के लोगों ने भी पहल नहीं की गई है। ज्यादातर सरकारी मशीनरी पर ही निर्भर बने हुए हैं। गलियों का पानी मुडे़ तो बने बात
गांव की गलियों से होकर गुजरने वाले पानी का रुख भी यदि तालाब की ओर मोड़ दिया जाए तो धीरे-धीरे जलस्तर में बढ़ोतरी हो सकती है। इसके लिए कई बार सुझाव भी रखे गए, लेकिन गांव के किसी भी व्यक्ति ने पहल नहीं की। बारिश का पानी सहेजने को करने होंगे प्रबंध
हर साल बरसात का पानी व्यर्थ ही नालियों में बह जाता है। अगर, गांव के जागरूक लोगों द्वारा बरसात के पानी को सहेजकर उसे सीधा तालाब तक पहुंचाने की व्यवस्था कराई जाए तो जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है। हमारे समय में लोग अपनी जिम्मेदारी समझते थे। अब प्राकृतिक चीजों के बारे में सोचने का समय किसी के पास नहीं है। तालाब को दोबारा बेहतर बनाने के लिए युवाओं को भी साथ आना होगा। तालाब में पानी बढे़गा तो जलस्तर भी सुधरेगा।
जागेश्वर दयाल शर्मा, जिरौली। तालाब को सुधारने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। पूरे गांव को एकजुट होकर तालाबों के संरक्षण के प्रयास करने चाहिए। जरूरत हो तो इसके लिए मुहिम भी चलाई जानी चाहिए।
नारद सिंह, जिरौली। जिम्मेदारी तो हम सबकी है
हमें यह समझना होगा कि तालाब भूगर्भीय जलस्तर को बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी माध्यम हैं, लेकिन अवैध कब्जे और मनमानी की वजह से इनका अस्तित्व खतरे में है। मवेशियों के लिए जल संकट बढ़ रहा है। यदि जलस्तर गिरने लगा तो उसका असर खेती पर भी पडे़गा। जमीन में पानी की कमी होने से फसलों के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा, जिससे पैदावार प्रभावित होगा। सभी को सामूहिक प्रयास कर तालाबों को सुरक्षित रखने की पहल करनी होगी। इसमें युवाओं को भी आगे आना होगा।
दिनेश यादव एड., पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन