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अनपढ़ का दाग मिटाने को बुजुर्गाें ने थामी कलम

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : अनपढ़ का दाग मिटाने के लिए बुजुर्गों ने जब कंपकंपाती अंगुलियों स

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Mar 2018 05:13 PM (IST)Updated: Sun, 25 Mar 2018 05:49 PM (IST)
अनपढ़ का दाग मिटाने को बुजुर्गाें ने थामी कलम

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : अनपढ़ का दाग मिटाने के लिए बुजुर्गों ने जब कंपकंपाती अंगुलियों से कलम थामी, तो जैसे उनकी दुनिया ही बदल गई। वर्षों से जो अनपढ़ होने का दाग उन पर लगा था, उसे मिटाने के लिए उन्होंने पूरी कोशिश की। उत्तर पुस्तिका में लिखते अक्षर टेढ़े-मेढ़े हो जाते तो उनके चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं आती। तीन घंटे तक पूरे ध्यान के साथ परीक्षा देने के बाद जब वे केंद्र से निकले, तो उनके चेहरे पर जंग जीतने वाली मुस्कुराहट थी।

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कुछ ऐसा ही नजारा रविवार को साक्षरता परीक्षा का था। शहर के प्राथमिक विद्यालय नगरिया स्थित परीक्षा केंद्र पर 85 वर्षीय बाबूराम पूरा ध्यान केंद्रित कर पेपर करने में लगे हुए थे। जब 'जागरण' ने उनसे पूछा कि वे पढ़े लिखे हैं या नहीं। सवाल खत्म होने से पहले ही वे बोल पढ़े कि अब हम अनपढ़ नाइ हैं, हमऊ अपनों नाम लिख लेत हैं और अब किताब पढ़नो सीख लओ है। इतना कहकर वे फिर से पेपर करने में जुट गए। पास ही बैठी 65 वर्षीय सावित्री देवी ने बताया कि वे केवल इसलिए लिखना-पढ़ना सीखना चाहती हैं कि वे हस्ताक्षर कर सकें। जब भी बैंक में रुपये निकालने के लिए जाती हैं तो अंगूठा लगाने पर लोग उन्हें हीन भावना से देखते हैं। वे बताती हैं कि घर में बेटे और बहू सब पढ़े-लिखे हैं। केवल हम ही अनपढ़ हैं, लेकिन अब उन्हें भी कोई अनपढ़ नहीं कहेगा। उन्होंने भी लिखना-पढ़ना सीख लिया है। यहां आने वाले अधिकांश लोगों के दिल में बस यही तमन्ना थी। केंद्र पर तैनात प्रेरक प्रभाकर पाल ने बताया कि केंद्र पर कुल 75 लोगों का पंजीकरण है। दोपहर 12 बजे तक केवल 17 लोग ही परीक्षा देने के लिए आए थे। ऐसे ही प्राथमिक विद्यालय नवीगंज पर साक्षरता परीक्षा देने आईं सरोजनी देवी बताती हैं कि पहले बेटियों को पढ़ाया नहीं जाता था, जिसके कारण लिखना-पढ़ना नहीं सीख सकीं। जिले में कुल 464 केंद्रों पर 60 हजार नव साक्षर पंजीकृत थे। सभी केंद्रों पर प्रधानाध्यापक और प्रेरकों ने साक्षरता परीक्षा कराई। सुबह दस बजे शुरू हुई परीक्षा शाम पांच बजे तक चलती रही। जो भी आता गया वह तीन घंटे में परीक्षा देकर वापस घर लौट गया। बताते चलें कि हर साल मार्च के महीने में साक्षरता परीक्षा का आयोजन किया जाता है, इसमें अशिक्षित प्रौढ़ और बुजुर्ग परीक्षा देते हैं। दुर्गा नवमी का भी रहा असर परीक्षा केंद्रों पर पंजीकृत नव साक्षरों के सापेक्ष रविवार को उपस्थिति काफी कम रही। घर-घर जाकर प्रेरकों के बुलाने के बाद भी लोग परीक्षा देने नहीं आए। इसके पीछे प्रेरक दुर्गा नवमी को भी कारण बता रहे हैं। उनका कहना है कि आज सभी लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करने के साथ ही घर में कन्याओं को भोज कराते हैं। इस कारण लोग परीक्षा देने नहीं आए। प्रेरकों के बहिष्कार का भी पड़ा प्रभाव

मानदेय न मिलने के चलते लोक शिक्षा प्रेरकों ने साक्षरता परीक्षा के बहिष्कार का ऐलान किया था। रविवार को इसका मिलाजुला असर दिखाई दिया। कई केंद्रों पर प्रेरक पहुंचे तो कई पर अनुपस्थित भी रहे। प्राथमिक विद्यालय रतनपुर बरा स्थित केंद्र पर दिन भर ताला लटकता रहा, तो वहीं प्राथमिक विद्यालय एलाऊ में भी केवल प्रधानाध्यापिक ही पहुंची। खंड शिक्षाधिकारी जागीर मुनींद्र कुमार ने बताया कि रतनपुर बरा के दोनों लोक शिक्षा प्रेरक इस्तीफा दे चुके हैं, वहीं एलाऊ पर प्रेरक क्यों नहीं पहुंचे इसकी जानकारी कर कार्रवाई की जाएगी।


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