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कान्हा में आश्रय के बाद क्रूरता

गोवंश के लिए नहीं पर्याप्त इंतजाम, गायें रही रहीं खराब स्थिति में

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 10:15 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 10:15 PM (IST)
कान्हा में आश्रय के बाद क्रूरता
कान्हा में आश्रय के बाद क्रूरता

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। कान्हा आश्रय स्थल में गोवंश से क्रूर व्यवहार किया जा रहा है। आलम यह है कि न तो चारे की व्यवस्था है और न ही ठंड से बचने की। क्षमता से तीन गुना गोवंश वर्तमान में यहां है। बुधवार को 'जागरण' ने नगर पालिका द्वारा बनाए कान्हा पशु आश्रय स्थल की पड़ताल की तो यही कड़वा सच सामने आया।

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बुधवार दोपहर करीब एक बजे संवाददाता आगरा रोड पर पालिका के कान्हा पशु आश्रय स्थल पहुंचा तो एक कर्मचारी ने लकड़ी के तख्ते हटाकर प्रवेश कराया। गेट से घुसते ही दाने के लिए बनाए गए गोदाम के बाहर दो बछिया जमीन पर पड़ी सिसक रही थीं। पूछने पर बताया कि दोनों बीमार हैं और मरने के कगार पर हैं। दाने के गोदाम में एक ओर पिलर बनाने के लिए सरिया रखी थी तो सामने ही एक और बछिया पड़ी थी। छूते ही उसकी मौत हो जाने का आभास हुआ। गोदाम में कुछ दाना था, भूसा भी केवल सौ पशुओं के लिए मुश्किल से एक समय का ही था। सामने सैंकड़ों गोवंश चारे और पानी के लिए चक्कर लगा रहे थे। यहां शेड की क्षमता पांच सौ पशुओं की है, परंतु उसमें करीब 13 सौ गोवंश थे। पशुओं की देखरेख के संबंध में गौरव और रत्नेश ने बताया कि दिन और रात में तीन-तीन कर्मचारी यहां हैं। शेड के अंदर लगभग 300 गोवंश लड़ामनियों में रखे भूसे को हासिल करने की कोशिश कर रहे थे। बाहर भी सैंकड़ों गोवंश भूख से अकुलाते हुए घूम रहे थे। यहां पानी को सबमर्सिबल तो लगी है, लेकिन प्याऊ नहीं बनी है। दूसरे स्थानों से यहां लाए गए गोवंश बीमार थे, इलाज हो रहा है। पशुओं को ठंड से बचाव के लिए अलाव जलवाए जा रहे हैं। भूसा और चोकर का इंतजाम किया जा रहा है। पश चिकित्सक बीमार पशुओं के इलाज में जुटे हैं।

मनोज कुमार रस्तोगी, ईओ।


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