मुशायरे की महफिल में शायरों ने जमाया रंग
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मंगलवार रात शेरो-शायर की महफिल जमी तो वाह-वाह के स्वर गूं
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मंगलवार रात शेरो-शायर की महफिल जमी तो वाह-वाह के स्वर गूंजते रहे। नामचीन शायरों के कलाम पर श्रोता रात भर झूमे। मौका था मैनपुरी साहित्य महोत्सव में आयोजित मुशायरे का। देर रात शुरू हुई महफिल सुबह चार बजे तक सजी रही ।
काव्य साधना समिति के संयोजन में आयोजित मुशायरे का उद्घाटन जिलाधिकारी प्रदीप कुमार और एसपी राजेश एस ने किया। शुरुआत लखनऊ से आए शुएब अनवर के कलाम से हुई। उन्होंने जब बदले हुए माहौल पर शेर पढ़ा, जवान बेटे के लहजे से हो गया अहसास, जो फसल बोई थी अब काटने की बारी है। उनके शेर पर खूब वाह-वाह हुई। मैनपुरी के शायर बलराम श्रीवास्तव ने पढ़ा भाल पर ओठ से ओम जब लिख दिया, मेरे जीवन में तब शिव समाहित हुआ, एक सूखी नदी सी मेरी ¨जदगी, तुम मिली तो लगा जल प्रवाहित हुआ। रामपुर से आए मशहूर शायर ताहिर फराज ने माई पर अपनी चर्चित रचना पढ़ी तो पूरा पंडाल झूम उठा। उनकी रचना बहुत खूबसूरत हो तुम खूब सराही गई। उन्होंने पढ़ा, एक मिसरा हूं मैं, एक मिसरा हो तुम, दोनों मिल जाएं तो शेर हो जाएगा। दिल्ली से आए आलोक श्रीवास्तव ने पढ़ा, बाबू जी गुजरे आपस में, सब चीजें तकसीम हुई तब मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा। कानपुर की शायरा शबीना अदीब तुझे आरजू थी जिसकी वही प्यार ला रही हूं, मेरे गम में रोने वाले तेरे पास आ रही हूं, मुझे देखना है किससे मेरा शहर होगा रोशन, वो मकां जला रहे हैं, मैं दिए जला रही हूं। दिल्ली से आए शायर आदिल रशीद ने पढ़, मेरी निगाह में बस इसका इक इलाज है ये, वतन में फैली है जो भी हवाएं नफरत की। इसके अलावा खोकर रतलामी, संजय दुबे, सुरेश नीरव ने भी रचनाएं सुनाकर वाहवाही लूटी। मुशायरे के समिति के संस्थापक अध्यक्ष चंद्रमोहन शर्मा, अमित पांडेय, शाकिब अनवर, मनोज कुमार शर्मा, गुलजार चिश्ती मौजूद रहे।