मंडी में मुद्दत रुकी, करदा के नाम पर कटौती जारी
बुधवार को आढ़तियों ने किसानों से नहीं काटी एक फीसद कटौती नहीं माने मिल मालिक पचास किलो पर करदा काटकर खरीदा माल।
पटना। उत्तरप्रदेश के भदोही के बने कारपेट, कोलकाता के फूल और राजस्थान का चूरमा बाटी के साथ बिहार का लिट्टी-चोखा और सुदूर गांवों से आई जीविका दीदियों की तरफ से एक से बढ़कर एक उत्पाद। देश के 22 राज्यों से आए उद्यमियों, शिल्पकारों और कलाकारों ने गांधी मैदान में मानो हिदोस्तां ही बसा दिया है। पटना वाले भी इस मिनी हिदुस्तान का दिल से स्वागत कर रहे हैं। दिल खोलकर खरीदारी हो रही है। 11 दिनों में ही करीब छह करोड़ रुपये के उत्पाद और व्यंजनों की बिक्री हो चुकी है।
मेला में उत्तर प्रदेश के भदोही से आए हुए हैं नौशाद अहमद। कारपेट बेचने आए हैं। 1200 से 50 हजार तक का कारपेट मेले में लेकर आए हैं। अच्छी बिक्री हो रही है। मेला व्यवस्थापकों से इनकी शिकायत भी है। कहते हैं कि सामान अंदर तक लाने की व्यवस्था भी नहीं है। ढोकर लाना पड़ता है। पश्चिम बंगाल से बनावटी और सजावटी फूल लेकर आई हुई हैं सुष्मिता भौमिक। इनके फूल 20 रुपये से लेकर गुच्छे हजार तक में बिक रहे हैं। रखने की जगह कम पड़ जा रही है। एक ही टेबल आयोजक ने दिया है। अलग से हजार रुपये लेकर। मेले में महिला उद्यमियों को 10 हजार में जगह मिली है, तो पुरुषों से 25 हजार तक लिए गए हैं। जीविका दीदियों को मुफ्त में जगह मिली है। पकवान वाले हिस्से में राजस्थान का चूरमा बाटी ओर बिहार के लिट्टी-चोखा के साथ ही अलग-अलग राज्यों के फेमस डिश का स्वाद यहां आने वाले लोग ले रहे हैं।
असम के फर्नीचर भी कर रहे आकर्षित
असम से झूला, सोफा सेट, टेबल और कुर्सियां लेकर आए दुकानदारों की तो रौनक ही खास है। एक से एक फैशनेबल फर्नीचर लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। पूछताछ तो हर कोई कर रहा है। जिसे महंगा लग रहा है वो भी झूले और सोफा पर बैठकर कम से कम सेल्फी जरूर ले रहा है। सहारनपुर से भी फर्नीचर लेकर उद्यमी आए हुए हैं। पंजाब की जूतियां, भागलपुर का कतरनी चूड़ा, चावल, खादी के परिधान, बांस के उत्पाद, क्रोशिया आर्ट, अचार पापड़, टेराकोटा सहित अलग-अलग राज्यों की शिल्पकलाओं का समागम भी मेला परिसर में है।
ग्रामीण उत्पादों की मेले में धूम
मेला में हिदुस्तान की विविधता के साथ ही ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले वाले उत्पादों की धूम है। इसके अतिरिक्त सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के प्रति जागरुकता के लिए मेला परिसर में नुक्कड़ नाटक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।