Move to Jagran APP

70 वर्ष की उम्र में बचपन जैसी पढ़ाई-लिखाई

70 की उम्र में भी हाथ में कलम थामकर कागज पर लकीरों को अक्षरों का रूप देने की कोशिश में हैं। कई बुजुर्ग। उन्हें उम्मीद है कि उनकी कोशिश जरूर पूरी होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 11:41 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 11:41 PM (IST)
70 वर्ष की उम्र में बचपन जैसी पढ़ाई-लिखाई
70 वर्ष की उम्र में बचपन जैसी पढ़ाई-लिखाई

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : बचपन में स्कूल नहीं गए। युवावस्था में पढ़ाई की जरूरत न समझी। बुढ़ापे में पढ़कर करेंगे ही क्या? मगर, साक्षरता अभियान ने ऐसी ललक जगाई कि अब 70 साल की उम्र में भी बचपन जैसी पढ़ाई-लिखाई कर रहे हैं। घर के बाहर कोई पढ़ा-लिखा मिल जाता है तो पूछ लेते हैं- सही लिखा या गलत।

loksabha election banner

सुल्तानगंज के नगला शंभू निवासी देशराज 73 बरस के है। पिछले साल तक उन्हें अनपढ़ होने का कोई पछतावा नहीं था। लेकिन बीते साल उन्हें साक्षरता अभियान के तहत लोक शिक्षा प्रेरकों ने शिक्षा का महत्व बताया तो आंखें खुलीं। वे रोज लोक शिक्षा केंद्र पर पढ़ने पहुंच जाते। कुछ महीने ही पढ़ पाए थे कि ये केंद्र बंद हो गया। देशराज मायूस तो हो गए, पढ़ने की ललक नहीं छोड़ी। देशराज घर पर ही लिखना-पढ़ना सीख रहे हैं। जैसे ही कोई पढ़ा-लिखा नजर आता है, उसे दिखाकर पूछते हैं कि सही लिखा है या गलत। गलत होने पर सही शब्द की जानकारी लेते हैं।

गांव बनखड़िया निवासी कल्लो देवी (65) को ही देखिए। वे भी केंद्र बंद होने के बाद अपने घर पर ही लिखना-पढ़ना सीख रही हैं। कल्लो देवी ने अब राम लिखना भी सीख लिया है। राम लिखने के बाद उनके चेहरे पर ऐसी मुस्कान आती है, जैसे उनका पूरा जीवन धन्य हो गया है।

----------------------

इसलिए बंद हो गए साक्षरता केंद्र

लोक शिक्षा केंद्र संचालन के लिए प्रेरकों को मानदेय मिलता था। कुछ महीनों तक तो मानदेय मिलता रहा, मगर बाद में बंद हो गया। इस पर प्रेरकों ने भी आना बंद कर दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.