मोदी की योजना में डॉक्टर ने फैलाया 'इंफेक्शन'
मैनपुरी के जिला अस्पताल में जन औषधि केंद्र होने के बावजूद भी चिकित्सकों द्वारा मरीजों को बाजार से लिखी जा रही हैं। इसकी जिलाधिकारी से शिकायत की गई है।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मरीजों को अस्पताल में ही सस्ती दवाएं मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन औषधि केंद्र की योजना में जिले के सरकारी डॉक्टर ने ही अपनी हरकत से मनमानी का 'इंफेक्शन' फैला दिया। अस्पताल में जन औषधि केंद्र पर सस्ती दवा होने के बावजूद कमीशन के चक्कर में मरीज को बाजार की दवाएं लिख दीं। तीमारदार ने जिलाधिकारी से डॉक्टर की शिकायत की है।
शहर के भोजुपरा निवासी श्यामू राठौर ने जिलाधिकारी को दिए प्रार्थना पत्र में बताया है कि उनके पुत्र नक्ष को फुंसियां हो रही हैं। 17 जुलाई को बेटे को लेकर जिला महिला चिकित्सालय परिसर में बने सौ शैय्या अस्पताल पहुंचे थे। एक रुपये के सरकारी पर्चे पर डॉक्टर ने बाजार की दवाएं लिख दीं। श्यामू का कहना है कि जब उन्होंने इन दवाओं के जन औषधि केंद्र में मिलने की बात पूछी तो चिकित्सक ने यह कहकर मना कर दिया कि वहां उपलब्ध सभी दवाएं लोकल हैं, जो असरदार नहीं हैं। बाहर की दवा जल्दी असर करती है।
बकौल श्यामू, जब उन्होंने सस्ती दवा लिखने के लिए दवाब डाला तो चिकित्सक ने पहले लिखी दवाओं को काट दिया और उसी पर्चे पर दूसरी दवाएं लिखकर यह कहकर लौटा दिया कि जहां मिले वहां से ले आओ। पीड़ित ने पर्चे के आधार पर चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। ऐसे चलता है दवाओं पर कमीशन का कारोबार
नाम न छापने की शर्त पर एक कंपनी के प्रतिनिधि ने कमीशन के खेल का गणित समझाया। उसने बताया कि चिकित्सक उन कंपनियों को वरीयता देते हैं जो महंगे उपहारों के साथ अच्छा कमीशन देती हैं। सबसे ज्यादा कमीशन सिरप, ओइनमेंट और महंगी टेबलेट पर होता है। इनमें प्रति रैपर और बॉटल 40 से लेकर 50 फीसद का कमीशन फिक्स होता है। जिस मेडिकल स्टोर से दवा बिकती है, उसमें 20 फीसद स्टोर संचालक का हिस्सा होता है और 40 से 50 फीसद चिकित्सक का। कुछ कमीशन दवा प्रतिनिधि का भी फिक्स होता है। जिस चिकित्सक द्वारा जितनी ज्यादा दवाएं लिखी जाती हैं, बाद में संबंधित कंपनी द्वारा उनके लिए विशेष उपहार भी भेंट किए जाते हैं।
अधिकारी कहिन
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भारत सरकार का उपक्रम है। यह सरकारी मेडिकल स्टोर है जहां बाजार भाव से 80 फीसद कम दामों में दवाएं उपलब्ध हैं। अस्पताल में यदि कोई दवा उपलब्ध नहीं है और चिकित्सक बाहर से दवाएं लिख रहे हैं तो वे मरीजों को जेनरिक दवाएं ही लिखेंगे। यदि फिर भी किसी चिकित्सक द्वारा बाहर से दवा लिखी जा रही है तो उनके खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।
डॉ. आरके सागर
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला चिकित्सालय, मैनपुरी। ऐसा मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। सख्त हिदायत है कि कोई भी चिकित्सक प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवा नहीं लिखेंगे। यदि किसी चिकित्सक ने प्राइवेट दवाएं लिखी हैं और यदि पीड़ित द्वारा शिकायत दी जाती है तो निश्चित ही कार्रवाई होगी।
डॉ. अरुण कुमार
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला महिला चिकित्सालय, मैनपुरी।