पालिका के 'साफ' नाले गंदगी से लबालब
मैनपुरी : मंगलवार को कलक्ट्रेट में सफाईकर्मियों ने नाला सफाई पर सवाल यूं ही नहीं उठाए थे।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मंगलवार को कलक्ट्रेट में सफाईकर्मियों ने नाला सफाई पर सवाल यूं ही नहीं उठाए थे। बरसात से पहले शहर के नालों की सफाई हो रही है। पालिका ने तमाम नालों की सफाई के दावे किए हैं। मगर, यही नाले गंदगी से लबालब हैं। कुछ नालों से निकाली गई सिल्ट वापस उसी में पहुंच गई तो कुछ नालों की कागजों पर सफाई कराई गई।
शहर के छोटे-बडे़ 120 नालों की सफाई पर करीब 35 लाख रुपये बहाए जा रहे हैं। ज्योंती तिराहा से नवीन मंडी की ओर जाने वाली मुख्य सड़क के किनारे गहरे नाले की सफाई कराई गई थी। सफाई कर्मियों ने सिल्ट निकालकर फुटपाथ पर ही फैला दी गई। चौबीस घंटे के अंदर इसको उठाने के आदेश के बाद भी सफाई कर्मियों ने लापरवाही बरती और कचरा उठाने नहीं आए। कई दिनों तक फुटपाथ पर पड़ा रहने के बाद दोबारा गंदगी नाला में ही गिर गई। अब जहां सफाई कराई गई थी, वहां दोबारा गंदगी के ढेर लगे हुए हैं।
मुहल्ला ककरइया में सड़क किनारे बने नाला की स्थिति भी बदतर है। पालिका नाला सफाई का दावा कर रही है। पूरे नाला में सिर्फ पॉलीथिन और दोना-पत्तलों की भरमार है। नाला पटा हुआ है। लोग इस बात से परेशान हैं कि हर साल बारिश में इस नाले की वजह से सबसे ज्यादा जलभराव होता है। यही हाल रहा तो इस बार भी जलभराव की समस्या से जूझना पडे़गा। शहर में सीओ सिटी कार्यालय के पास के नाला की सफाई कराने के बाद कचरा का उठान ही नहीं कराया जा रहा है। दो दिनों से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी सड़क पर ही गंदगी का ढेर लगा हुआ है। राहगीरों को परेशानी उठाकर बचकर गुजरना पड़ रहा है। खुद पालिका के अधिकारी और कर्मचारी भी इस मार्ग से बार-बार गुजरते हैं लेकिन गंदगी के निस्तारण के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किए। पॉलीथिन पर पाबंदी क्यों नहीं लगाते जिम्मेदार
प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। पालिका प्रशासन के अधिकारियों की सांठ-गांठ की वजह से अब तक कोई अभियान नहीं चलाया गया। दुकानदार भी नालों के किनारे दुकानें लगाते हैं और जो भी दोना-पत्तल की गंदगी होती है, उसे नाले में ही फेंक दिया जाता है। ऐसे में पूरे नाले में सिर्फ पॉलीथिन और दोना-पत्तल ही नजर आ रहे हैं। बोले लोग
मनमाने ढंग से नाला ही सफाई हो रही है। असल में जिन सफाई कर्मियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है वे खुद भी अनभिज्ञ हैं। अनुभवी कर्मचारियों को लगाया जाना चाहिए था इस पूरे काम के लिए।
अमन कुमार, करहल रोड। हर साल योजना बनती है। लाखों रुपये खर्च करके नालों की सफाई कराई जाती है लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात वाला ही होता है। आखिर कोई ठोस कार्ययोजना क्यों नहीं बनाई जा रही है।
अनिल चौहान, श्रृंगार नगर। नाला सफाई का काम मानक के अनुसार न होने की वजह से शहर भर में जलभराव के हालात बनते हैं। हर साल लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। असल में इसकी मॉनीट¨रग होनी चाहिए।
अंकित चतुर्वेदी, किला बजरिया। सफाई कर्मचारी बेपरवाह हैं। कचरा निकालकर सड़क पर ही छोड़ देते हैं। सूखने के बाद दोबारा गंदगी नालों में ही गिर जाती है। यही चल रहा है। बस, सरकारी धन का बंदरबाट करने की होड़ मची है।
सुमित कुमार, स्टेशन रोड। अधिकारी कहिन
नालों के काम मे लापरवाही नहीं बरती जा रही है। समय पर सिल्ट उठवाने के निर्देश हैं। हां, कई स्थानों पर सफाई कर्मियों द्वारा अनदेखी की गई है। उन्हें अंतिम चेतावनी दे दी गई है। मुहल्ला ककरइया में नाला की सफाई कराई गई थी, लेकिन दुकानदार अपनी मनमानी करते हैं। दोना-पत्तल के साथ पॉलीथिन भी नालों में ही फेंक रहे हैं।
मनोरमा देवी, पालिकाध्यक्ष, मैनपुरी।