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समाज को नई दिशा देने में जुटे रहे बाबू जी

मैनपुरी : बाबू दर्शन ¨सह यादव, समाज सुधारक के रूप में एक बड़ा नाम पंचतत्व में विलीन हो गया। पूर्व राज्यसभा सांसद और केंद्रीय समाज सेवा समिति के संस्थापन रहे दर्शन ¨सह यादव (76) का बुधवार की देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनका मैनपुरी से गहरा जुड़ाव रहा है। यहां उनकी पहचान राजनीतिज्ञ से ज्यादा समाज सुधारक के रूप में रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 11:07 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 11:07 PM (IST)
समाज को नई दिशा देने में जुटे रहे बाबू जी
समाज को नई दिशा देने में जुटे रहे बाबू जी

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मैनपुरीवासियों के लिए दर्शन सिंह यादव राजनीतिज्ञ नहीं, समाज सुधारक थे। वे समाज को नई दिशा देने में जुटे थे। शराब बंदी के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी थी तो संयुक्त परिवार के लिए गांव-गांव सम्मेलन करते थे। मिटटी से इतना मोह था कि पर्यावरण सरंक्षण के लिए वे लोगों से गंगा जल उठाकर शपथ दिलाते थे। उनके निधन से पूरे जिले में शोक व्याप्त हो गया।

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पूर्व राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय समाज सेवा समिति के संस्थापक रहे दर्शन ¨सह यादव (76) का बुधवार की देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनका मैनपुरी से गहरा जुड़ाव रहा है। वे राजनेता कम बल्कि अपने चहेतों के बीच हमेशा बाबूजी के नाम से ही पुकारे जाते रहे। करहल रोड निवासी कौशल यादव का कहना है कि बाबूजी पर्यावरण संरक्षण के लिए हमेशा लड़ते रहे। उन्होंने यात्राओं के माध्यम से गांव-गांव जाकर लोगों को संगठित किया। पौधे और उनकी अहमियत को समझाया। मिट्टी से था मोह, किया मृत्युभोज का बहिष्कार

जागीर निवासी नृप चौधरी ने बताया कि बाबूजी को मिट्टी से मोह था। वे प्लास्टिक के डिस्पोजेबल गिलास और थर्माकोल की बनीं प्लेटों का विरोध करते रहे। वे कहते थे कि इनसे पर्यावरण दूषित होता है। सार्वजनिक समारोह और कार्यक्रमों में हमेशा मिट्टी से बने कुल्हड़ और दोने-पत्तलों के प्रयोग के लिए प्रेरित करते रहे। जहां भी ऐसे परंपरागत आयोजन होते थे, वहां वे हमेशा जमीन पर बैठकर ही भोजन करते थे। बंशीगौहरा निवासी अवनेंद्र यादव कहते हैं कि बाबूजी मृत्युभोज के विरोधी थी। उनका स्पष्ट कहना था कि सामाजिक कुरीतियों के अनुसार बाद में तेरहवीं संस्कार के नाम पर मृत्यु भोज का आयोजन कराना गलत है। पौधों की हिफाजत को दिलाते थे गंगाजल की सौगंध

बाबू दर्शन ¨सह यादव ने वर्ष 1985 में केंद्रीय समाज सेवा समिति की स्थापना की थी। तब से संस्था के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की जो मुहिम शुरू की। गांव हैबरा के अलावा ग्वालियर, ¨भड, मुरैया, करहल, बरनाहल, औंछा और मैनपुरी के एक सैकड़ा से ज्यादा गांवों में उन्होंने लोगों के समूह की मदद से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम संचालित की। लोगों के मन में प्रकृति के प्रति प्रेम और आस्था दोनों बनीं रहे, इसके लिए वे हाथों में गंगाजल लेकर लोगों को शपथ दिलाते थे। शराब बंदी थी उनकी आखिरी ख्वाहिश

अप्रैल में शहर के स्टेशन रोड पर हरिदर्शन नगर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए बाबू दर्शन ¨सह यादव ने पिछले दिनों कहा था कि उनकी इच्छा है कि मैनपुरी में शराब के खिलाफ लोग खुद आगे आएं। उन्होंने जिले के आधा सैकड़ा से ज्यादा गांवों में शिविर लगाकर उन्होंने न सिर्फ शराब के कारोबार पर अंकुश लगवाया बल्कि उन्हीं गांवों के लोगों को इस मुहिम के लिए तैयार भी किया। बॉक्स: 40 लोगों के संयुक्त परिवार के थे मुखिया

दर्शन ¨सह यादव का परिवार जिले का सबसे बड़ा संयुक्त परिवार है। खुद बाबूजी उस परिवार के मुखिया थे। उनके नाती अमित यादव बताते हैं कि बाबूजी जब भी कोई फैसला करते थे, तो परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ बुलाकर उनके सामने बात रखते थे। उनका निर्णय ही हम सबके लिए आखिरी फैसला होता था। हर साल संयुक्त परिवार दिवस पर बड़ा आयोजन कर संयुक्त परिवारों के मुखिया को सम्मानित करने की परंपरा उन्होंने ही चलाई थी। बॉक्स: मुलायम से थी बेहद नजदीकी

सपा संरक्षक मुलायम ¨सह यादव से शुरुआत में उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता रही। वह जसवंतनगर सीट से मुलायम के खिलाफ चुनाव लड़ते रहे। बाद में सपा में शामिल हुए तो वे मुलायम के सबसे ज्यादा करीबी बन गए। सपा ने ही उनको राज्यसभा सदस्य बनाया। बाद में मुलायम ¨सह यादव ने उनके भाई सोबरन ¨सह यादव को करहल विधानसभा से सपा प्रत्याशी बनाया। वह लगातार चार बार से जीत हासिल कर विधायक बन रहे हैं। बॉक्स:: जागरण की खबर पर खुद गए थे निरीक्षण करने

वर्ष 2016 में जागरण ने बरनाहल क्षेत्र में पेड़ों के कटान की खबर प्रकाशित की थी। इसको पढ़ने के बाद वह खुद अपने समर्थकों के साथ मौके पर गए थे। इसके बाद वन विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा था। मामले में कार्रवाई भी कराई गई थी।


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