यहां एकादशी को होगा रावण के पुतले का दहन
रविवार को दशहरा पर जगह-जगह रावण के पुतले का दहन किया जाएगा मगर म
मैनपुरी, श्रवण शर्मा: रविवार को दशहरा पर जगह-जगह रावण के पुतले का दहन किया जाएगा, मगर मैनपुरी शहर में ये कार्यक्रम एकादशी पर होगा। दरअसल, इस तिथि को राजा की सवारी निकाली जाती है और उनके सम्मान में उस दिन रावण दहन कार्यक्रम नहीं किया जाता। ये परंपरा डेढ़ सदी से निभाई जा रही है। हालांकि कोरोना काल में इस बार पुतला दहन कार्यक्रम प्रतीकात्मक होगा।
इतिहासकार श्रीकृष्ण मिश्रा बताते हैं कि मैनपुरी शहर में एकादशी को रावण का पुतला दहन के पीछे महाराजा को सम्मान देना है। यहां का रामलीला मंचन का आयोजन डेढ़ सदी पुराना है, तब से इस परपंरा में कोई बदलाव नहीं हुआ। यह कब शुरू हुई, इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता। पहले रामलीला का मंचन दिन में होता था, अब ये आयोजन रात में होता है।
श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष महेश चंद अग्निहोत्री बताते हैं कि राजशाही के जमाने से ही शहर में विजयादशमी के दिन राजा की सवारी किला से निकलती है। इसी कारण रावण के पुतले का दहन एकादशी को किया जाता रहा है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीर सिंह भदौरिया बताते हैं कि इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से रामलीला मंचन प्रभावित रहा। सोमवार को एकादशी के दिन प्रतीकात्मक रावण के पुतले का दहन होगा। एक परंपरा बंद
दशहरा पर किला से महाराजा तेज सिंह की सवारी निकलती थी। उसी दिन रामलीला मैदान से भगवान के स्वरूपों की सवारी और शहर के गाड़ीवान मुहल्ला स्थित रामचंद्र मंदिर से गुसाईं परिवार भगवान की सवारी निकलती थी। शहर के बड़ा चौराहा पर तीनों सवारियों का मिलन होता था। राजा यहां पर स्वरूपों का तिलक करते थे। आजादी के बाद पूजन का दायित्व राजा के प्रतिनिधि करते थे। करीब दो दशक से गुसाईं परिवार द्वारा सवारी नहीं निकाली जा रही है।