शॉर्टकट अपना कर जल्द अमीर बनना चाहता था रामबाबू
लखनऊ में नकली नोटों के साथ पकड़ा गया रामबाबू शाक्य शॉर्टकट अपनाकर जल्द अमीर होने के सपने देखता था। अपने पैतृक गांव पैरार शाहपुर से काफी साल पहले ही वह नाता तोड़ चुका है और इलाहाबाद में ही रह रहा था।
संसू, करहल (मैनपुरी): लखनऊ में नकली नोटों के साथ पकड़ा गया रामबाबू शाक्य शॉर्टकट अपनाकर जल्द अमीर होने के सपने देखता था। अपने पैतृक गांव पैरार शाहपुर से काफी साल पहले ही वह नाता तोड़ चुका है और इलाहाबाद में ही रह रहा था।
मूल रूप से करहल थाने के गांव पैरार शाहपुर निवासी रामबाबू शाक्य पुत्र कुंअर पाल को लखनऊ में दो हजार रुपये के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया है। उसके पास से अलग-अलग नाम से कई आधार कार्ड और अन्य संदिग्ध दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। पैरार के ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में रामबाबू के दो भाइयों में एक भाई विनोद कुमार शाक्य गांव में रह कर राजमिस्त्री का काम करता है। जबकि दूसरा भाई प्रदीप कुमार शाक्य इटावा में परिषदीय स्कूल में अध्यापक है। रामबाबू के पिता परिषदीय स्कूल में हैड मास्टर थे। नौकरी के दौरान ही उनकी मृत्यु होने के बाद मृतक आश्रित के कोटे में प्रदीप की नौकरी लगी थी। ग्रामीणों ने बताया कि रामबाबू शुरू से ही पढ़ने में तेज था। उसने हाई स्कूल व इंटर प्रथम श्रेणी में पास की थी। इसके बाद कानपुर से आइआइटी में पढ़ाई की। वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद इलाहाबाद में नौकरी कर ली। वह जल्द से जल्द पैसा कराने की चाहत रखता था। छात्र जीवन में ही वह मंहगे कपड़े पहनने का शौकीन बन गया था। अमीरों की लाइफ स्टाइल उसे आकर्षित करती थी। इसी कारण उसने इलाहाबाद में कुछ समय तक नौकरी करने के बाद नौकरी छोड़ दी। फिर कानपुर में जूट का मिल लगाकर बोरे का बारदाना बनाने का काम शुरू कर दिया। यह काम भी दो वर्ष तक करने के बाद बंद कर दिया। इसके बाद से वह क्या कर रहा था? किसी को जानकारी नहीं हैं। उसके किसी अन्य राज्य में जेल जाने के संबंध में भी गांव में किसी को कोई जानकारी नहीं है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले काफी समय से रामबाबू व उनका परिवार गांव में नहीं आया। गांव का मकान और थोड़ी सी खेती को काफी समय पहले बेच कर यहां से पूरी तरह रिश्ता तोड़ गया था।