कार्रवाई के नाम पर दिखावा, लापरवाह डॉक्टरों को बचा गए सीएमओ
सीएचसी औंछा में प्रसूता के परिजनों द्वारा खुद ही जमीन पर प्रसव कराए जाने के मामले की जांच करने गए स्वास्थ्य अधिकारी लापरवाह डॉक्टरों को पूरी तरह से बचा ले गए।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) औंछा में प्रसूता के परिजनों द्वारा खुद ही जमीन पर प्रसव कराए जाने के मामले की जांच करने गए स्वास्थ्य अधिकारी लापरवाह डॉक्टरों को पूरी तरह बचा गए। स्टाफ नर्सों की सेवा समाप्ति और एएनएम के निलंबन का निर्देश देने वाले सीएमओ ने दोषी चिकित्सकों के खिलाफ सिर्फ वेतन रोकने की कार्रवाई ही की है।
शुक्रवार को मोहर्रम की छुट्टी बता सीएचसी औंछा के चिकित्सा अधीक्षक समेत दूसरे चिकित्सक ड्यूटी से गायब थे। थाना क्षेत्र के गांव नगला पीपल निवासी रुचि पत्नी अवनीश को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर परिजन अस्पताल ले गए थे। किसी भी कर्मचारी द्वारा मदद न दिए जाने के बाद प्रसूता की सास कमला देवी ने गांव की कुछ महिलाओं की मदद से परिसर में ही जमीन पर बारिश के बीच प्रसव कराया था। इतना ही नहीं, बच्ची की नाल भी उन्होंने ही काटी थी।
इस संवेदनहीनता की जांच करने के लिए पहुंचे सीएमओ डॉ. अशोक कुमार पांडेय को भी खामियां मिलीं। 31 जुलाई से यहां तैनात डॉ. राजदीप और डॉ. राहुल आनंद अनुपस्थित चल रहे हैं। इसके बावजूद उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक समेत दोनों डॉक्टरों को साफ बचा लिया। सीएमओ का कहना है कि चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पवन की सर्विस बुक में एंट्री करने के साथ डॉ. राहुल और डॉ. राजदीप का वेतन रोका गया है। जबकि, स्टाफ नर्स निशा और सौरभ की सेवा समाप्ति की संस्तुति करने के साथ एएनएम शोभा देवी को निलंबित कर दिया है।
शनिवार को भी हावी रही लापरवाही
शनिवार को दोनों चिकित्सकों के अलावा महिला चिकित्सक डॉ. स्वाति कुशवाह फिर अस्पताल नहीं पहुंचीं। दिनभर मरीज उपचार के लिए भटकते रहे।
अरे निलंबन से बड़ा होता है सर्विस बुक में एंट्री
कार्रवाई न किए जाने की बात पूछने पर सीएमओ डॉ. एके पांडेय बात को टालते दिखे। तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि निलंबन से ज्यादा बड़ा होता है सर्विस बुक में एंट्री करना। बाकी दूसरे अस्पतालों के चिकित्सकों को भी इस संबंध में नोटिस जारी किया गया है।