आधी रात तक मदद की दरकार, बाकी रात सुबह का इंतजार
जागरण लाइव रात गहराते ही ठंडे पड़ने लगे थे सरकारी अलाव कूड़ा-करकट को सुलगाकर गलन से राहत पाने का प्रयास कर रहे थे असहाय
वीरभान सिंह, मैनपुरी: सर्द हवा, गलन। खुले में रात गुजारने वालों के लिए तो ये मौसम का सितम जैसा है। कोई फटी-पुरानी मोटी चादर को लपेटता तो कोई छेद-छेद से खुद को ढककर बयार से बचने की कोशिश करता, मगर ठंड है कि मानती ही नहीं। दफ्तर में बैठे-बैठे सिस्टम ने रात की सर्दी का कागजी अहसास कर अलाव के नाम पर चंद लकड़ियों के टुकड़े तो फिंकवा दिए, मगर इनकी आंच आधी रात में ही ठंडी होती रही। बयार रोकने को चाकचौबंद आवासों के रूम में ब्लोअर की गरमाहट लेकर चैन की नींद ले रहे सिस्टम को शायद ये सपना भी नहीं आता कि शहर में तमाम लोग कूड़ा-करकट में आग लगाकर ठंड से पिंड छुड़ाने का नाकाम प्रयास कर रहे होंगे। भांवत चौराहे पर तो ऐसे असहाय मिले जिन्हें आधी तक मदद की दरकार रहती है और बाकी रात सुबह होने का इंतजार करते हैं। गलन भरी रात में कैसे और कहां-कहां ठिठुर रहे थे असहाय, कितनी देर तक आंच देते हैं सरकारी अलाव, दैनिक जागरण ने शहर का भ्रमण कर सिस्टम के इन्हीं इंतजामों की गरमाहट की हकीकत देखी।
दृश्य एक : बीएसएनएल कार्यालय, रात 10:15 बजे
कचहरी रोड पर स्थित बीएसएनएल कार्यालय के बाहर कूड़ेदान में पड़ा कचरा सुलग रहा था। सूखा कचरा सुलगते-सुलगते कभी-कभार लपटें उठाने की हिम्मत भी करता, मगर गीलापन पल भर बाद ही उसे बुझा देता। सर्दी में ठिठुर रहे लोग इसी कूड़ेदान के आसपास बैठ इसी धुंआ और धधक से गरमाहट का आभास कर राहत पा रहे थे।
दृश्य दो : कोतवाली के पास, रात 10:20 बजे
कोतवाली के बाहर रैन बसेरा है। यहां खाक हो चुकीं लकड़ियां साफ इशारा कर रही थीं कि ये सरकारी अलाव है। चार-छह लकड़ियों के गठ्ठर की आंच ठंडी पड़ने लगी थी। मगर, गलन भरी रात गहराने से राहगीर की आस बढ़ रही थी। राहगीर कहने लगे कि जब तक गरमाहट मिलेगी, यहीं बैठे रहेंगे।
दृश्य तीन : तांगा स्टैंड, रात 10:30 बजे
तांगा स्टैंड पर भी सरकारी अलाव था। लकड़ियों के आठ-दस टुकड़े जलते-जलते ठंडे पड़ने की ओर थे। इस समय तक सर्दी भी पूरे रंगत पर थी। और, इसके आसपास बैठे-ठिठुरते लोग कभी आंच से हाथ तापते तो पुराने कंबल, मोटी चादर से खुद को ओढ़ हवा से बचाते। धीरे-धीरे कम हो रही लपटों अहसास करा रही थी कि अब इनमें गरमाहट की दम ज्यादा नहीं बची।
दृश्य चार : जिला अस्पताल इमरजेंसी, रात 10:45 बजे
जिला अस्पताल की इमरजेंसी के बाहर थोड़ी लकड़ियां सुलग रही थीं। इनका आधा हिस्सा जल चुका था। अभी तो आधी रात भी नहीं हुई थी। खुले में पूरी रात गुजारने के लिए कुछ तो करना ही पड़ेगा, यहां बैठे लोगों ने बताया कि कचरा आदि बीनकर उससे तापते हैं।
ऐसे बसेरा जहां बशर ही नहीं
नगर पालिका का दावा है कि उनके द्वारा शहर के तीन स्थानों पर अस्थायी रैन बसेरे बनाए गए हैं। जागरण टीम को कोतवाली के बाहर रैन बसेरा तो संचालित मिला, लेकिन तांगा स्टैंड के बसेरे की स्थिति बदतर दिखी। यहां आवारा जानवरों की चहलकदमी होती रही। पूछने पर पता चला कि अब तक यह खुला ही नहीं। रोडवेज बस स्टैंड पर भी एक रैन बसेरे की बात कही जा रही है लेकिन इसके बारे में कोई प्रचार नहीं कराया गया।
पालीथिन बिछाई, जो बची वही ओढ़ ली
गुरुवार की रात 11:12 बजे रेलवे स्टेशन रोड पर दुकानों के बाहर कई इंसानी जिदगियां सर्दी से ठिठुरती दिखीं। करहल के एक गांव के रहने वाले राकेश (65) शहर में रिक्शा चलाते हैं। फुटपाथ पर रिक्शे की चेन को कमर में बांधकर कंबल ओढ़े करवटें बदल रहे थे। पूछते ही कहने लगे, रहने का कोई ठिकाना नहीं है बाबूजी। कई सालों से सड़क पर ही सोते हैं। अब ठंड बर्दाश्त नहीं होती। महिलाओं, बुजुर्गों से लेकर दो दर्जन से ज्यादा जरूरतमंद सिर्फ इस एक सड़क पर खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर दिखे।
खुले आसमान में सिर्फ भगवान भरोसे
दिव्यांग भिखारियों की एक टोली भांवत चौराहा से करहल रोड मार्ग पर सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे नींद का इंतजार कर रही थी। दिव्यांग सुदेश कैमरे का फ्लैश चमकते ही चौंक गए। कह उठे कि ऐसा लगा जैसे कोई कंबल देने आया है। सुविधाओं को कोस रहे हैं। आधी रात ईश्वर से मदद में बीतती है और आधी अगली सुबह के इंतजार में। थोड़ी दूर पर सड़क के उस पर साधुओं की एक मंडली पर जमीन पर सोई थी। पालीथिन को आधा बिछाया और जो बची उसे हवा रोकने के लिए दीवार बना लिया। ये साधु भी व्यवस्था से नाराज दिखे।
इन प्वाइंट पर अलाव का दावा
जिला अस्पताल में इमरजेंसी के बाहर, रोडवेज बस स्टैंड के पास, क्रिश्चियन तिराहा, तांगा स्टैंड, घंटाघर, बड़ा चौराहा, संता-बसंता चौराहा, गोपीनाथ अड्डा, जिला जज आवास, जज कंपाउंड, आफीसर कालोनी, भांवत चौराहा, सावित्री धर्मशाला इन प्वाइंट पर अलाव की जरूरत
देवी रोड बाइपास तिराहा, शीतला माता मंदिर, जिला महिला चिकित्सालय, 100 शैय्या मेटरनिटी विग, जिला अस्पताल के बाहर प्रवेश द्वार के नजदीक, आगरा रोड खानकाह के पास, सीओ सिटी कार्यालय के बाहर, क्रिश्चियन तिराहा से भांवत चौराहा के बीच स्टेशन रोड पर, ईशन नदी तिराहा
सुरक्षा कारणों की वजह से तांगा स्टैंड के रैन बसेरे को हटवाकर नगर पालिका परिसर में करा दिया गया है। अलाव की संख्या कम है। जरूरत के अनुसार प्वाइंटों की संख्या बढ़वाई जाएगी। लालचंद भारती, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद।
तहसील प्रशासन द्वारा शहर में आठ जगहों पर अलाव जलवाए जा रहे हैं। हमारी व्यवस्थाएं बेहतर हैं। यदि कहीं अन्य आवश्यकता पड़ती है तो वहां भी सुविधा कराई जाएगी। मनोज कुमार राय, तहसीलदार सदर।