अस्पताल को 'हार्ट अटैक', मशीनों का बीपी 'लो'
ये जिला अस्पताल है। यहां तो व्यवस्था ही दिल का दर्द बढ़ा रही है। चार वर्षों से विशेषज्ञ चिकित्सक की कुर्सी खाली पड़ी हुई है। ऐसे में रोजाना आने वाले दर्जन भर से ज्यादा मरीजों को सिर्फ ईसीजी दिखाकर ही पल्ला झाड़ा जा रहा है।
जासं, मैनपुरी : दिल का दौरा पड़ने पर जिला अस्पताल में इलाज का कोई इंतजाम नहीं है। चार वर्ष से विशेषज्ञ नहीं है। आधुनिक तकनीकी वाले महंगे उपकरण धूल फांक रहे हैं। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सैफई या आगरा ले जाना पड़ता है। ऐसे में कभी-कभी मरीज की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।
जिला अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. आरपी मिश्रा थे। करीब चार वर्ष पहले उनकी सेवानिवृत्ति के बाद ये कुर्सी खाली पड़ी है। विशेषज्ञ के कक्ष पर ताला लटका रहता है। अगर दिल में दर्द का कोई मरीज आता है तो ईसीजी करके दूसरे अस्पताल का रास्ता दिखा दिया जाता है।
आइसीयू वीरान, उपकरण बेकार
ह्रदय रोग वार्ड में ही सभी जरूरी उपकरणों से लैस आइसीयू भी है। लेकिन, इन उपकरणो का संचालन करने वाले विशेषज्ञ भी नहीं हैं। चार वर्षाें से यहां एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ है। धूल फांक रहे तमाम उपकरण अब बेकार होने लगे हैं। बॉक्स: खतरे से बचाता है गोल्डन आवर
हार्ट अटैक की स्थिति में मरीज के लिए एक घंटा 'गोल्डन आवर' होता है। इस दौरान उपचार मिलने पर मरीज की जिंदगी पर खतरा टल जाता है। जिला अस्पताल में पर्याप्त उपचार न मिलने पर मरीज को सैफई या आगरा ले जाना पड़ता है और वहां तक पहुंचने में समय लगता है। ' हृदय रोग विशेषज्ञ के लिए निरंतर पत्राचार किया जा रहा है। मरीजों को फौरी राहत देने के लिए फिजीशियन डॉ. जेजे राम परामर्श दे रहे हैं। गंभीर मरीजों को सैफई रेफर करना पड़ता है।'
डॉ. आरके सागर
सीएमएस
जिला अस्पताल, मैनपुरी।