ब्रांडिंग के लिए बाहरी डॉक्टरों को भा रहा मैनपुरी
कुछ ने खोले अपने सब सेंटर्स तो कई खुद लगाते हैं शिविर कारोबार के लिए मरीजों को आकर्षित करने को हो रही कसरत।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। डॉक्टरी पेशे में भी अब प्रतियोगिता का दौर शुरू हो गया है। ब्रांडिंग के लिए चिकित्सकों को मैनपुरी की आब-ओ-हवा कुछ ज्यादा ही भाने लगी है। यही वजह है कि यहां धड़ल्ले से महानगरों के चिकित्सक अपने अस्पतालों के सब सेंटर खोल महंगे इलाज की गारंटी ले रहे हैं। मरीजों का भरोसा जीता जा सके, इसके लिए सप्ताह में एक दिन खुद चिकित्सक भी यहां पहुंचकर मरीजों को उपचार देते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में यहां आगरा, नोएडा और दूसरे महानगरों में संचालित होने वाले महंगे अस्पतालों के सब सेंटर खुले हैं। इनमें वही सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है, जो इनकी मदर ब्रांच में हैं। इसके पीछे की खास वजह तेजी से बढ़ती बीमारियां हैं। असल में मैनपुरी में कोई भी ऐसा अस्पताल नहीं है जिसमें सभी जांचों की सुविधा के साथ एक ही छत के नीचे इलाज मिल सके। इसी का फायदा उठाकर आगरा, नोएडा और दिल्ली से विशेषज्ञ चिकित्सक अपने सब सेंटरों पर सप्ताह में एक दिन कैंप लगाकर मरीजों को उपचार देते हैं। इन कैंपों में निश्शुल्क परीक्षण का झांसा दिया जाता है। बाद में पंजीकरण के नाम पर पैसे ले लिए जाते हैं। ज्यादातर मरीजों को परीक्षण के बाद अपने-अपने अस्पतालों में बुलाने की सलाह दी जाती है। लाखों में है इलाज का साप्ताहिक कारोबार
आकर्षित करने वाला प्रचार-प्रसार मरीजों को इनकी ओर खींच रहा है। सप्ताह में एक दिन निर्धारित कर ये चिकित्सक मरीजों को उपचार देते हैं। इसके लिए पंजीकरण शुल्क 200 रुपये से लेकर 400 रुपये तक है। इमरजेंसी शुल्क तो 500 से लेकर 800 के बीच है। बीमारियों को बेहद गंभीर बता चिकित्सक पहले जांचें कराते हैं, उसके बाद सप्ताह भर की दवा लिखते हैं। जांच और दवा भी उन्हीं सेंटरों से लिखी जाती हैं जिनसे कमीशन सेट है। सूत्रों की मानें तो सप्ताह भर में ऐसे चिकित्सकों के इलाज का कारोबार लगभग पांच लाख रुपये का है। सैफई के चिकित्सक भी पीछे नहीं
मुनाफे के इस कारोबार में सैफई मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक भी पीछे नहीं हैं। सरकार से बाकायदा सैलरी लेने वाले कुछ विशेषज्ञ तो रविवार के अवकाश में मैनपुरी पहुंचकर अपनी दुकानें चलाते हैं। दिन भर में लगभग एक सैकड़ा मरीज इनके पास पहुंचते हैं। दवा कारोबारी कर रहे खेल
चिकित्सकों से दवा कारोबारियों ने अपनी सेटिग कर रखी है। इनके कैंपों के लिए जगह मुहैया कराने से लेकर उनके खान-पान तक का ख्याल रखा जाता है। बदले में चिकित्सक कमीशन वाली महंगी दवाएं लिखते हैं। किसी भी चिकित्सक द्वारा जेनेरिक दवाएं नहीं लिखी जाती हैं।