यहां तो नजरों से नाप रहे बुखार और शुगर
बुखार हो या फिर डायबिटीज, इमरजेंसी में इनकी जांच का कोई इंतजाम नहीं है। न थर्मामीटर है और न ही ग्लूकोमीटर। तीमारदारों की जुबानी ही मरीजों के मर्ज का मरहम दे दिया जाता है। वर्षों से चली आ रही इलाज की यह व्यवस्था अब मरीजों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने इस अव्यवस्था को दूर करने के लिए आज तक कोई कदम नहीं उठाया है।
जासं, मैनपुरी: जिला अस्पताल की इमरजेंसी में चिकित्सक उपचार से पहले गंभीर मरीजों का बुखार और डायबिटीज नजरों से ही नाप लेते हैं। इमरजेंसी में इनको नापने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। वहीं मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशान होना पड़ रहा है।
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में थर्मामीटर नहीं है। वहीं ग्लूकोमीटर का प्रयोग नहीं होता। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। इनमें से अधिकतर बुखार और डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। नियमानुसार बुखार की जांच को थर्मामीटर और डायबिटीज के लिए ग्लूकोमीटर का प्रयोग किया जाता है। रिपोर्ट के आधार पर उपचार होता है। जांच पर खर्च करने पड़ रहे रुपये
इमरजेंसी आने वाले मरीजों को डायबिटीज की जांच में 30 से 40 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। बुखार के लिए सीबीसी की जांच पर 400 से 600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। क्या होता है ग्लूकोमीटर
डायबिटीज की जांच में इसका प्रयोग होता है। मरीज के रक्त की एक बूंद को मशीन से जुड़ी स्ट्रिप पर रखते हैं। इससे रक्त में शुगर का स्तर पता चलता है। बाजार में 400 रुपये से 700 रुपये तक के ग्लूकोमीटर बिकते हैं। 'इमरजेंसी में मरीज गंभीर हालत में आता है। उस समय चिकित्सक के पास इतना ही समय होता है कि प्राथमिक उपचार दे सकें। हां, डायबिटीज की जांच की जानी चाहिए। इसके लिए ग्लूकोमीटर उपलब्ध कराया जाएगा।'
डॉ. आरके सागर
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला अस्पताल, मैनपुरी।