Move to Jagran APP

खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल, दे रही बीमारी की सौगात

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : ये सरकारी व्यवस्था का हाल है। लोक निर्माण विभाग ने शहर में अ

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Feb 2018 09:43 PM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2018 09:43 PM (IST)
खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल, दे रही बीमारी की सौगात
खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल, दे रही बीमारी की सौगात

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : ये सरकारी व्यवस्था का हाल है। लोक निर्माण विभाग ने शहर में आगरा रोड से ज्योंती बाइपास मार्ग का निर्माण कराया था। दो वर्ष पहले हुए इस निर्माण का हाल देखिए। सड़कें जगह-जगह से अपनी परतें छोड़ने लगी हैं। गहरे गड्ढे वाहनों का रास्ता रोक रहे हैं। रोजाना छोटे-बडे़ मिलाकर एक हजार वाहन इस मार्ग से विभिन्न रूटों पर जाते हैं। ऐसे में जर्जर सड़कें अब राह का रोड़ा बनने लगी हैं। गड्ढों में हुई धूल राहग रों को बीमारी की सौगात दे रही है।

loksabha election banner

ये हाल अकेले ज्योंती बाइपास मार्ग का नहीं है। शहर में राजा का बाग से होकर देवी रोड की ओर जाने वाली मुख्य संपर्क मार्ग की बदहाली भी लोगों का चैन छीन रही है। एक माह पहले पालिका प्रशासन ने सड़क की खोदाई कराई थी। 200 मीटर सड़क को ही सीसी कराया गया, उसके बाद ठेकेदार काम बंद करके चल दिए। पालिका ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। इस मार्ग से प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आवागमन होता है। खोदी गई सड़क के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ये कुछ सड़कें तो महज उदाहरण हैं। शासन ने सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्थाओं को सौंपी थी। जिम्मेदारों ने कागजी खानापूरी कर अपना पल्ला झाड़ लिया। कहीं अधूरा निर्माण, तो कहीं खोदी गई सड़कें अब राहगीरों की मुश्किल बढ़ा रही हैं। खोदी गई सड़कों से उठता धूल का गुबार सेहत को बीमार कर रहा है। एक ओर जहां अस्थमा रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं फेफड़ों की बीमारियों के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। वायु प्रदूषण को बढ़ाने में वाहनों और कारखानों से निकला धुआं ही जिम्मेदार नहीं है। सड़कों का आधा-अधूरा मानकविहीन निर्माण भी बड़ी वजह बन रहा है। ज्योंती बाइपास रोड, आगरा रोड, नवीन मंडी से आगरा बाइपास रोड को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग, राधा रमन रोड, देवी रोड सहित कई ऐसे प्रमुख मार्ग हैं जिन पर सड़कों के किनारे खोद दिए गए। कहीं टेलीफोन लाइन डालने को इनकी खोदाई हुई, तो कहीं अंडरग्राउंड केबिल डालने को। लेकिन खोदी गई पटरियों से अब धूल उड़ती है।

फिजीशियन डॉ. अरुण कुमार उपाध्याय का कहना है कि धूल में कई हानिकारक कण होते हैं। जो श्वांस के साथ सीधे हमारे फेफड़ों तक पहुंचते हैं। लगातार धूल के संपर्क में रहने वाले लोगों को श्वास संबंधी तमाम बीमारियां हो जाती हैं। जिला अस्पताल में भी प्रतिदिन लगभग एक दर्जन मरीज श्वांस संबंधी ऐसे ही विकारों से पीड़ित होकर आते हैं। सबसे ज्यादा समस्या बुजुर्गों को होती है। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जाती है। ऐसे में धुंध के कण उन्हें बीमार बना देते हैं। बॉक्स

त्वचा और आंखों पर भी पड़ता असर

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरांग गुप्ता का कहना है कि धूल का सबसे ज्यादा असर त्वचा पर पड़ता है। लगातार संपर्क में होने की वजह से त्वचा पर रैशेज (चकते या धब्बे) पड़ने लगते हैं। अनदेखी करने पर ये धब्बे बढ़ते जाते हैं। जिनसे बाद में खून आना शुरू हो जाता है। यदि शरीर क किसी हिस्से पर इंफेक्शन है तो धूल उस इंफेक्शन को और ज्यादा बढ़ा देती है। खासकर बच्चे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके झा का कहना है कि लगातार धूल वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आंखों की रोशनी प्रभावित होने लगती है।

मोतिया¨बद के मामलों में बढ़ोतरी के लिए भी धूल जिम्मेदार है। बेहतर है कि घर से बाहर निकलते समय आंखों को सुरक्षित रखने के लिए चश्मे आदि का प्रयोग करें।

ये है धुंध की वजह

- कूड़ादान न होने की वजह से सड़कों पर ही कूड़ा फेंका जा रहा है। सूखने के बाद वाहनों क साथ कूड़ा और धूल भी फैलते हैं।

- सफाई कर्मियों द्वारा मुख्य सड़कों पर कभी भी सफाई नहीं की जाती है।

- मनमाने ढंग से सड़कों पर ही गिट्टी, बालू और रेत का कारोबार किया जा रहा है।

- खुदी पड़ी सड़कों की मरम्मत न कराया जाना भी धूल के स्तर में बढ़ोतरी की बड़ी वजह है।

बोले लोग

'धूल की वजह से सेहत को नुकसान पहुंचता है। शहर के मुख्य रास्तों पर ही व्यवस्थाएं धड़ाम हैं। बीमारियां बढ़ रही हैं। कार्यदायी संस्थाओं को चाहिए कि वे धूल को कम करने के लिए प्रयास करें।'

डॉ. आनंद प्रकाश शाक्य, आगरा रोड।'शहर वासियों को सुविधा उपलब्ध कराना कार्यदायी संस्थाओं की जिम्मेदारी है। लेकिन, यहां को सड़कें ही खोदकर छोड़ दी जाती हैं। कूड़ा निस्तारण की यदि बेहतर व्यवस्था हो तो धूल से निजात मिल सकती है।'

क्रांति कुमार दीक्षित, एड., भांवत चौराहा।'हम सब भी यदि अपनी जिम्मेदारी समझें और कूड़े को सार्वजनिक स्थानों पर न फेंकें तो धूल के स्तर को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। आबादी क्षेत्र में भारी वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी लगाई जाए।'

गो¨वद राजावत, बाइपास रोड।'धूल के स्तर को रोकने के लिए आबादी क्षेत्र में रेत, गिट्टी और बालू के कारोबार को बंद कराने की जरूरत है। इसके अलावा कार्यदायी संस्थाओं की भी जिम्मेदारी तय की जाए।'

किशनचंद दुबे, कचहरी रोड।

बॉक्स

ये है सड़क खोदाई का नियम

अधिशासी अभियंता जल निगम ओमवीर दीक्षित का कहना है कि नियमानुसार दूसरे गड्ढे या सड़क को तब तक नहीं खोदा जा सकता, जब तक पहले गड्ढे को पूरी तरह से भरकर उसे दुरुस्त न कर दिया जाए। यह जवाबदेही ठेकेदार की है कि वह सड़क की खोदाई के बाद उसकी मरम्मत भी कराएंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.