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कागजों से भरा जा रहा गोवंश का पेट, मर रहे हैं बेसहारा पशु

बेवर संसू। योगी सरकार में बेसहारा गायों को सहारा देने को शासन के निर्देश पर नगर पंचायतों में गोशालाओं का निर्माण कराया गया। खानपान की अनवरत व्यवस्था के लिए आर्थिक व्यवस्था की गई। समाजसेवियों का भी सहयोग लिया गया। लेकिन नगर की गोशाला घोर अव्यवस्थाओं के चलते कब्रगाह साबित होर ही है। आए दिन यहां गायें दमतोड़ रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 11:20 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 06:28 AM (IST)
कागजों से भरा जा रहा गोवंश का पेट, मर रहे हैं बेसहारा पशु

संवाद सूत्र, बेवर: बेसहारा गोवंश को सहेजने की सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा कान्हा पशु आश्रय में पूरी नहीं हो रही है। कागजों में पेट भरने काम हो रहा है। लेकिन हकीकत में गोवंश मर रहे हैं। सेवा में लगे कर्मचारी मृत गोवंश को रात के अंधेरे में दफना रहे हैं, तो कमजोरों को छोड़ रहे हैं।

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प्रदेश की योगी सरकार ने बेसहारा गायों को सहारा देने के लिए नगर पंचायत और पालिकाओं में गोशालाओं का निर्माण कराया गया। खानपान के इंजताम के लिए आर्थिक व्यवस्था की गई। समाजसेवियों का भी सहयोग लिया गया, लेकिन नगर की गोशाला अव्यवस्थाओं के चलते मौत की कब्रगाह साबित हो रही है। आए दिन गाय दम तोड़ रही हैं, जिन्हें कर्मचारी चुपचाप उसी परिसर में रात में जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफन कर देते हैं।

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पंजीकरण रजिस्टर में होती है खानापूरी

वैसे तो गोशाला में पंजीकरण पंजिका है, लेकिन 10 दिन से कोई विवरण अंकित नहीं किया गया है। पंजिका के अनुसार, वर्तमान में 13 सांड़ और छह बछड़ों और 33 गायों समेत 61 गोवंश हैं। गिनती में मौके पर मात्र 48 गोवंश ही मिले। इन गोवंश को कागजों में दो-दो किलो दाना और चार-चार किलो भूसा प्रतिदिन देने का विवरण दर्ज है, लेकिन कमजोर गाय, बछियां खुराक की पोल खोल रही थी।

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हर दिन मर रहा गोवंश

पंजीकरण रजिस्टर पर 7 से 15 मार्च तक 6 बछड़ा-बछिया मरी दिखाई गई हैं। सूत्रों की मानें तो यह आंकड़ा कहीं ज्यादा है। सरकारी आंकड़े से करीब तीन गुना गोवंश की मौत हो चुकी है।

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एक माह से नहीं हुआ चिकित्सीय परीक्षण

शासन की ओर से साप्ताहिक और सूचना पर पशु चिकित्सक द्वारा गोवंश की स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था है, लेकिन अनुपालन के अभाव में गोवंश दम तोड़ देता है। -

गोशाला संबंधी कोई शिकायत नहीं मिली है। बेहतर व्यवस्था के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। बीमार गायों की सूचना एक माह पहले मिली थी, पशु चिकित्सा अधिकारी को पत्र भेज दिया गया है। 30 रुपये सुबह-शाम प्रति पशु खर्च किया जा रहा है। रात में पशुओं को निकाल दिया जाता है तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

श्यामवचन सरोज, ईओ।


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