बदल गया था रहन-सहन, रोज होती थी प्रार्थना
पहले ही अपना लिया था ईसाई धर्म, 2015 में हुई थी औपचारिकता।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। नगला राम¨सह में धर्मातरण की पहल कई वर्ष पहले ही हो चुकी थी। ईसाई मिशनरीज से जुडे़ लोग गांव के अनुसूचित जाति के कुछ परिवारों के लगातार संपर्क में थे। 2015 में तो महज धर्म परिवर्तन की औपचारिकता निभाई गई थी। बजरंग दल की कड़ी मेहनत के बाद भटके परिवारों की घर वापसी हो सकी है।
मंगलवार को बजरंग दल की पहल पर धार्मिक अनुष्ठान के साथ जिन तीन परिवारों को दोबारा ¨हदू धर्म में वापस लाया गया, असल में मिशनरीज के संपर्क में आकर इन परिवारों ने वर्षों पहले ही ईसाई धर्म अपना लिया था। परिवार के लोगों ने बताया कि 2013-14 से ही वे मसीह समाज को मानने वालों के संपर्क में थे। प्रत्येक ईसाई त्योहारों पर समाज के कुछ लोगों का यहां आना-जाना रहता था। बाद में वर्ष 2015 में लिखा-पढ़ी के साथ ईसाई धर्म कुबूल कर लिया था। मसीह समाज में शामिल होने के बाद तीनों परिवारों का रहन-सहन पूरी तरह से बदल चुका था। सुबह की शुरुआत यीशु प्रार्थना के साथ होती थी। बच्चों को भी इस प्रार्थना में शामिल किया जाता था। संजय की बहन कराती थीं धर्मांतरण: नगला राम¨सह निवासी संजय की फीरोजाबाद में रहने वाली बहन धर्मांतरण का कार्य कराती थीं। परिजनों का कहना है कि वे लगातार संपर्क में थीं और ईसाई धर्म से जुड़ी कथाओं को सुनाकर इसके लिए प्रेरित किया करती थीं। दिए शपथ पत्र, कहा विध्वंसियों के बहकावे में थे: ईसाई धर्म छोड़कर ¨हदू धर्म में वापसी करने वाले परिवार के पांच लोगों ने बाकायदा शपथ पत्र देकर यह स्वीकारा है कि वे विध्वंसियों के बहकावे में आ गए थे। धर्म बदलने के बाद से ही घुटन महसूस कर रहे थे। संजय पुत्र रामनारायण और सरोज कुमारी पत्नी संजय निवासीगण नगला राम¨सह, कृपाशंकर पुत्र लीलाधर और कमलेश पुत्र कृपाशंकर निवासी पापाकला कॉलोनी जिला फीरोजाबाद के अलावा उमावीर पुत्र भीकमदास निवासी गांव रोपनपुर, कुर्रा ने शपथ पत्र देकर मंगलवार को स्वीकार किया वे बहकावे में आए थे। कृपाशंकर को ईसाई कॉलोनी में मिला है मकान: संजय के बहनोई कृपाशंकर कई वर्षों से ईसाई धर्म मान रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि धर्म परिवर्तन के बाद मिशनरीज के लोगों ने उन्हें सत्यनगर, पापाकला (फीरोजाबाद) में ईसाई कॉलोनी में एक मकान दिया है। संघर्ष कर रोका था धर्म परिवर्तन: जिले में ईसाई मिशनरियों की सक्रियता के चलते धर्म परिवर्तन के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। ¨हदूवादी संगठन भी धर्म परिवर्तन के कार्यक्रमों को असफल करने के पूरी कोशिश करते रहे हैं। ढाई साल पहले औंछा के गांव नगला राम¨सह में हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने पहुंचे ¨हदूवादियों पर हमला कर दिया गया था। 27 अप्रैल 2016 को नगला राम¨सह में एक दर्जन से अधिक परिवारों ने धर्म परिवर्तन की तैयारी कर ली थी। ईसाई मिशनरियों ने धर्म परिवर्तन कराने वालों के लिए भोज व उपहारों का इंतजाम किया था। सुबह से ही खाना बनाने में जुट गए। बजरंग दल के संयोजक सुशील यादव को भनक लगी तो वे अपने साथियों के साथ वहां पहुंच गए। वे धर्म परिवर्तन वालों से बातचीत करना चाहते थे। तभी कुछ लोगों ने ¨हदूवादियों पर हमला कर दिया था। ¨हदूवादियों की बेरहमी से पिटाई की गई थी। सुशील यादव व अन्य का सिर फट गया था। संघर्ष के बाद धर्म परिवर्तन करने वालों ने अपना फैसला बदल लिया था। गांव खेड़ा महान में हुई थी कोशिश: 25 अप्रैल 2018 को बरनाहल के गांव खेड़ा महान में तीन परिवारों द्वारा धर्म परिवर्तन करने का कार्यक्रम चल रहा था। ¨हदूवादी पहुंचे तो मिशनरी के लोग फरार हो गए। लोगों ने बताया कि मिशनरियों में शामिल एक महिला व तीन पुरुष छह माह से मीठेपुर में किराए के घर में रह रहे हैं। उन्होंने पैसे का लालच देकर तीन परिवारों को धर्म परिवर्तन के लिए तैयार किया है। एक परिवार धर्म परिवर्तन कर चुका है। ¨हदूवादियों ने धर्म परिवर्तन का कार्यक्रम रुकवा दिया था। खरगजीत नगर में हुई थी पिटाई: मुहल्ला खरगजीत नगर निवासी अशोक कुमार खुद को ईसाई धर्म प्रचारक बताता था। उसने अपने घर की छत पर हर रविवार को प्रार्थना सभा का आयोजन शुरू कर दिया। तमाम लोग उससे प्रभावित होने लगे थे। दिसंबर 2015 में उसने कुछ लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए राजी कर लिया। मुहल्ले के लोगों ने अशोक पर भोले भाले लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए पिटाई कर दी थी। पादरी की हुई थी पिटाई: शहर के मुहल्ला सोतियाना निवासी एक महिला के घर पादरी का काफी आना जाना था। पादरी के बहकावे में आकर वह ईसाई धर्म के मुताबिक जीवन जीने लगी थी। ¨हदू त्योहारों व पूजा पद्धति आदि को छोड़ दिया था। इससे क्षुब्ध होकर महिला के पति ने आग लगाकर खुदकशी कर ली। इस घटना से आक्रोशित लोगों ने पादरी की पिटाई कर दी थी।