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रसोई गैस की सब्सिडी में भी बड़ा खेल, जिम्मेदार मौन

जासं मैनपुरी घरेलू गैस कनेक्शन पर उपभोक्ताओं के बैंक खाते में सब्सिडी दी जा रही है। ग्राहक एजेंसी के चक्कर लगाकर थक चुके हैं मगर उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हो रहा है। जिम्मेदार अधिकारी भी बेपरवाह बने हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 10:43 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:05 AM (IST)
रसोई गैस की सब्सिडी में भी बड़ा खेल, जिम्मेदार मौन

जासं, मैनपुरी: घरेलू गैस कनेक्शन पर उपभोक्ताओं के बैंक खाते में सब्सिडी दी जा रही है। लेकिन, कई के बैंक खाते में सब्सिडी नहीं पहुंच रही है, जबकि एजेंसी के रिकॉर्ड में यह ट्रांसफर दर्शा रही है। उपभोक्ता महंगा सिलिडर खरीद रहे हैं, लेकिन उनकी सब्सिडी खाते में भेजने में गैस एजेंसियां खेल रही हैं। किसी को चार माह से नहीं मिल रही, तो किसी को छह माह से। जिम्मेदारों ने भी समस्या से मुंह मोड़ लिया है। हाल ये है कि उपभोक्ताओं की जेब कट रही है और अफसर चुप्पी साधे हुए हैं।

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मौजूदा समय 886 रुपये का रसोई गैस घरेलू सिलिडर पड़ता है। इसके ऐवज में करीब 304 रुपये सब्सिडी के खाते में आने की व्यवस्था है, लेकिन एजेंसियों की मनमानी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ रही है। उपभोक्ता पूरे रुपये जमा कर रहे हैं, लेकिन सब्सिडी की रकम उनके खाते में पहुंच ही नहीं रही है। ये हाल तब है जब ये उपभोक्ता सारे कागजात एजेंसी पर जमा करने के बाद संबंधित बैंक से आधार कार्ड को लिक भी करा चुके हैं। एजेंसी पर उपभोक्ता शिकायत करते हैं तो उन्हें बैंक में बात करने को कहा जाता है, जबकि बैंक से उपभोक्ता को वापस एजेंसी भेज दिया जाता है

ये है नियम

सिलिडर डिलीवरी के 48 घंटे के बाद एजेंसी से सब्सिडी की रकम उपभोक्ताओं के खातों में ट्रांसफर होनी चाहिए। इसका मैसेज भी उपभोक्ता के फोन पर भेजा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

जिले में करीब नौ हजार गैस उपभोक्ता ऐसे हैं, जिन्होंने मर्जी से सब्सिडी छोड़ दी है। लेकिन जिन उपभोक्ताओं के खातों में सब्सिडी राशि में अनियमितता और समय पर नहीं आ रही है, वे इसकी शिकायत एजेंसी, पोर्टल और टोल फ्री नंबर पर भी कर सकते हैं।

रोहन दलाल, सहायक प्रबंधक, आइओसी

सभी उपभाक्ताओं के खातों में सब्सिडी भेजी जाती है, उनके मोबाइल पर संदेश भी भेजा जाता है। कई बैंकों का विलय होने से आइएफएससी कोड बदलने से परेशानी आ रही है। कई के आधार और खाते मिस मैच होने से समस्या आती है। जानकारी पर उनके डाटा दुरस्त करवाए जाते हैं।

नरेंद्र चतुर्वेदी, एचपी गैस डिस्टीब्यूटर। कनेक्शन लेने के कुछ समय बाद तक तो सब्सिडी मिली। लेकिन, इसके बाद कभी सब्सिडी की राशि हमारे खाते में नहीं आई। कई बार जरूरी कागज भी जमा कराए। एजेंसी सब ठीक बताकर पल्ला झाड़ रही है।

- नीरज कुमार, नगला पजाबा

गैस सब्सिडी राशि पिछले छह माह से खाते में नहीं आई है। कई बार आधार और बैंक खाते लिक करवाए। फिर भी महीनों से गैस सब्सिडी खातों में नहीं पहुंची। गैस एजेंसियों से बैंक तक कई चक्कर लगा चुके हैं।

प्रमोद कुमार, असूली।

सब्सिडी की राशि करीब चार माह से नहीं मिली है। पहले जो मिली वह भी अलग-अलग दर से मिली थी। पूछने पर एजेंसी संचालक कहते हैं कि इसके बारे में सरकार से पूछो हमें कुछ नहीं पता। सीएम तक को शिकायत भेजी, परंतु कुछ नहीं हुआ।

सुनील कुमार, ग्वाल टोली।

हमें करीब एक साल से सब्सिडी नहीं मिली है। एजेंसी और बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है। हर बार सभी जगह से बस एक ही आश्वासन मिलता है कि इस बार आ जाएगी। सत्य प्रकाश, मैनपुरी शहर।


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