जय हिद सर! मैं बीट का सिपाही हूं
प्रहरी एप रोज की गतिविधियां डायरी में नोट कर थाने तक जाने की जरूरत नहीं टेबलेट में फीड करते ही डीजीपी तक पहुंच जाएगी सूचना।
संजय त्रिवेदी, मैनपुरी। किसी भी वारदात या हादसा होने पर पुलिस बीट के सिपाही की डायरी पढ़ती है। जब लोग मुंह खोलने से बचते हैं, तब बीट का सिपाही अंदर की बात थाने तक पहुंचाता है। रोजनामचा में ऐसा भले ही न होता हो मगर, अब बीट के सिपाही की सक्रियता ही हाइटेक पुलिसिंग का आधार होगी। उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाएगी तो विभाग में अहमियत भी। डिजिटल पुलिसिंग के जरिए उसकी एक सूचना सीधे डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) कार्यालय तक पहुंच जाएगी। और तब, वो गर्व से कहेगा- जय हिद सर! मैं बीट का सिपाही हूं।
बीट पुलिसिंग को मजबूत करने के लिए जिले में 40 टेबलेट उपलब्ध कराए गए हैं। ये टेबलेट तेजतर्रार सिपाहियों को दे दिए गए हैं। प्रारंभिक चरण में वे अपनी बीट(क्षेत्र) की समस्त जानकारियां फीड कर रहे हैं। अगले चरण में उन्हें बीट की हर गतिविधि को मैसेज, फोटो, वीडियो के जरिए फीड करना सिखाया जाएगा। इसके बाद उन्हें पुलिस विभाग के 'प्रहरी एप' से लिंक किया जाएगा।
पुलिस का 'गूगल सर्च इंजन'
बीट बुक पुलिस के लिए गूगल सर्च इंजन है। बीट बुक में व्यक्ति, मेहमान, भवन, वारदात, आयोजन, आदि जानकारियां बीट बुक में फीड होंगी। हर सवाल का जवाब भी बीट सिपाही के पास होना चाहिए। विभाग में कहावत है कि थानेदार के बगैर थाना चल सकता है, मगर बीट सिपाही के बगैर पुलिसिंग नहीं।
ऐसी होगी कार्यप्रणाली
बीट सिपाही को अब बहुत सक्रिय और सतर्क रहना होगा। उसे हर रोज हर पल अपनी लोकेशन बतानी होगी। हर गतिविधि, हलचल फीड करनी होगी। बड़ी वारदात या हादसा हो जाता है तो उसकी सूचना फीड करते ही वरिष्ठ अधिकारी सक्रिय हो जाएंगे।
टेबलेट पर काम करने का पहला अनुभव है। हालांकि स्मार्ट फोन और एप का इस्तेमाल पहले से कर रहे हैं। इसलिए कोई मुश्किल नहीं आ रही। इससे पुलिसिंग और तेज हो जाएगी। पवन कुमार, बीट सिपाही, दन्नाहार
बीट सिपाही पुलिसिंग की नींव है। हाईटेक पुलिसिंग में उसकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी। सभी बीट सिपाहियों को टेबलेट जल्द उपलब्ध करा दिए जाएंगे। अजय कुमार, एसएसपी, मैनपुरी
सफल नहीं हुआ बीपीओ सिस्टम
प्रदेश में बीट सिपाही के लिए बीट पुलिस अफसर(बीपीओ) प्रणाली लागू की गई थी। इसके तहत बीट सिपाहियों को कुछ अधिकार भी दिए गए थे। मगर, ये योजना सफल नहीं हो पाई।
पहले
फोर्स की कमी के चलते कहीं-कहीं दो-दो बीट की जिम्मेदारी एक सिपाही पर
रोज बीट में भ्रमण कर हर गतिविधि डायरी में नोट करना।
रोज थाने पर जाकर दिन भर की गतिविधियों की जानकारी देनी है।
बीट सिपाही की लोकेशन पता नहीं रहती थी।
आपात स्थितियों में मदद के लिए बार-बार पुकार करनी पड़ती थी।
दूसरे थानों की पुलिस को वहां तक पहुंचने में दिक्कत होती थी।
अब
हर रोज हर पल अपनी लोकेशन फीड करनी होगी।
बीट की हर गतिविधि डिजिटल बुक में नोट करना।
थाने तक जाने की जरूरत नहीं। डिजिटल बुक स्वत: अफसरों तक लिंक हो जाएगी।
आपात स्थितियों में मैसेज करते ही त्वरित मिल सकेगी मदद।