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परहित सेवा की भावना बढ़ाता है मार्दव धर्म

पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन आदिनाथ जिनालय स्थित बड़ा जैन मंदिर में अनुयायियों ने विधि-विधान से भगवान आदिनाथ का पूजन कर मनौतियां मांगीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 11:36 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 11:36 PM (IST)
परहित सेवा की भावना बढ़ाता है मार्दव धर्म
परहित सेवा की भावना बढ़ाता है मार्दव धर्म

जासं, मैनपुरी : पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन आदिनाथ जिनालय स्थित बड़ा जैन मंदिर में अनुयायियों ने विधि-विधान से भगवान आदिनाथ का पूजन कर मनौतियां मांगीं। तत्वार्थ सूत्र का वाचन करते हुए बाल ब्रह्मचारिणी अंजना दीदी ने दूसरे दिन के प्रवचनों में मार्दव धर्म की जानकारी दी।

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उन्होंने कहा कि मार्दव का अर्थ है मिट जाना। जो संसार के मार्ग को छोड़कर मुक्ति के मार्ग पर चल पडे़ हैं और अहंकार का विसर्जन कर दिया है, यह मार्दव धर्म उनके लिए है। आठ प्रकार से व्यक्ति अपने जीवन में मान करता है। ज्ञान, पूजा, कुल, जाति, बल, तप, ऐश्वर्य और रूप का मान होता है। प्रत्येक व्यक्ति की यह मानसिकता बन चुकी है कि वह अपनी बुद्धि और दूसरों के धन को अधिक समझता है। मान भिखारी बनने का व्यापार है तो मृदुता धनवान बनने की कला। शाम के समय में मंदिर परिसर में महिलाओं और पुरुषों ने संगीतमय सामूहिक आरती का पाठ कर भगवान श्रीजी का पूजन किया। आरती के बाद बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न कराए गए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सौरभ जैन ने और जिनवाणी स्तुति संजीव जैन ने पढ़ी।


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