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हृदय में करना चाहिए श्रद्धा के देवता का निर्माण

मैनपुरी जासं। शनिवार को श्री अजितनाथ जिनालय कटरा में आचार्य प्रमुख सागर की शिष्या प्रतिज्ञा श्री परीक्षा श्री प्रेक्षा श्री माता के सानिध्य में संगीतमय शांति धारा और अभिषेक पूजन हुआ। 48 दिवसीय भक्तामर विधान के तृतीय दिन भक्तामर विधान करने का सौभाग्य मणि माला जैन संजय लोहिया परिवार को मिला।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 06:56 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 06:56 AM (IST)
हृदय में करना चाहिए श्रद्धा के देवता का निर्माण

जासं, मैनपुरी: शनिवार को श्री अजितनाथ जिनालय कटरा में आचार्य प्रमुख सागर की शिष्या प्रतिज्ञा श्री, परीक्षा श्री, प्रेक्षा श्री माता के सानिध्य में संगीतमय शांति धारा और अभिषेक पूजन हुआ। 48 दिवसीय भक्तामर विधान के तृतीय दिन भक्तामर विधान करने का सौभाग्य मणि माला जैन संजय लोहिया परिवार को मिला।

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माताजी ने भक्तामर विधान के मध्य अपने प्रवचनों में कहा कि क्षमावान, करुणावान ऐसे धर्म के उपासक हैं तो हम शत्रु से क्षमा मांग लें। एक बार बोले, मेरे शरीर में रहने वाले जीवाणुओं मैंने आपको कष्ट पहुंचाया है, दिल दुखाया, आप मुझे क्षमा कर दो। असाता को साता में परिवर्तित करने के लिए और शत्रुता को मित्रता में रूपांतर करने के लिए भक्तामर की आराधना एक सफल हो उपाय है। श्रद्धा श्रद्धा ही वास्तविक भक्ति को जन्म देती है, अपनी श्रद्धा के देवता का निर्माण हृदय में करना चाहिए श्रद्धा होगी तो भक्ति होगी, तभी विवेक जगेगा। देव शास्त्र गुरु श्रद्धा के मुख्य केंद्र हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रमुख सागर युवा मंच,सचि महिला मंडल, पुष्प प्रमुख चातुर्मास समिति का सहयोग रहा। रात्रि भोजन त्यागना भगवान की भक्ति में शामिल

संसू, करहल : कस्बे के जैन भवन नसिया मंदिर के प्रांगण में जैन मुनि मेडिटेशन गुरु विहसंत सागर महाराज ने शनिवार को धर्म सभा में प्रवचन करते हुए कहा कि मेरी वाणी से प्रभावित होकर जैन मंदिर के सेवकों ने रात्रि भोजन त्याग दिया। उन्होंने धर्म सभा में मौजूद सभी को धार्मिक संदेश देते हुए कहा कि जो लोग रात्रि के समय भोजन करते हैं, वह इसका समूल रूप से त्याग कर दें, रात को भोजन त्यागना भगवान की भक्ति में शामिल माना जाता है।

विहसंत सागर महाराज ने कहा कि बीमार व्यक्ति दवा से ठीक ना हो, दुआओं से भी ठीक हो जाता है। दुआओं का अर्थ, भगवान की भक्ति है। इसका साक्षात उदाहरण बताते हुए कहा कि जब डाक्टर मरीजों के लिए दवाइयों में फेल हो जाता है, तब भगवान की भक्ति ही काम आती है, जिसको दुआ कहते हैं।

जैन मुनि ने कहा नसिया जैन मंदिर में जो विधान चल रहा है, उसमें आप सभी को भक्ति के माध्यम से दुआएं मिलेंगी। इस मौके पर अशोक कुमार रईस, रविद्र कुमार जैन, मुकेश कुमार जैन, धरणीधर जैन, नीरज कुमार रपरिया, शैलेंद्र कुमार जैन, जीवन जैन पटवारी, राजीव कुमार जैन, संतोष कुमार जैन सवदेश कुमार अटरिया, आलोक बकेवरिया और जैन समाज के महिला-पुरुष बड़ी संख्या में मौजूद रहे।


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