फर्राटा भर रहीं वाल्वो के नाम पर अवैध बसें
जिले में भी वॉल्वो की बेलगाम रफ्तार फर्राटा भर रही है। परिवहन विभाग के दस्तावेजों में 12 बसों का पंजीकरण है लेकिन जिला भर में लगभग दो दर्जन बसें वॉल्वो और एसी कोच का ठप्पा लगा सड़कों पर दौड़ रही हैं। पूरे शहर में एक भी वाहन स्टैंड नहीं है बावजूद इसके बसों को संचालन का परमिट थमा दिया गया है।
मैनपुरी (जागरण संवाददाता) । जिले में अवैध रूप से वॉल्वो लिखकर बसें फर्राटा भर रही हैं। परिवहन विभाग के दस्तावेजों में 12 बसों का पंजीकरण है, लेकिन जिले में लगभग दो दर्जन बसें अवैध रूप से खुलेआम चल रही हैं। किसी ने वॉल्वो लिख रखा है तो कोई एसी कोच लिखकर यात्रियों छल रहा है। पूरे शहर में एक भी वाहन स्टैंड नहीं है। बावजूद इसके बसों को संचालन का परमिट थमा दिया गया है। सड़कों पर घंटों मनमाने ढंग से बसों कोखड़ा करके सवारियों को ढोया जा रहा है।
पिछले दो वर्षों में मैनपुरी में बसों के जरिए डग्गामारी की होड़ मची है। परिवहन विभाग के अभिलेखों में 12 बसों ने अपना पंजीकरण कराया है, लेकिन इनके अलावा लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा बसें अवैध तरीके से चल रही हैं। इनमें से ज्यादातर बस मालिकों ने अपनी बसों को मनमाने ढंग से पेंट करा उन पर वॉल्वो और एसी कोच के साथ वीडियो कोच लिखवा रखा है। बेहतर सुविधा का दावा कर सवारियों को ढो रहे हैं। परिवहन विभाग भी इस तरफ आंखें मूंदे हुए है। अग्निशमन यंत्र और न ही इमरजेंसी डोर
एसी और वीडियो कोच के नाम पर जिन बसों का संचालन कराया जा रहा है, उनमें से किसी में भी न तो अग्निशमन यंत्र हैं और न ही इमरजेंसी डोर हैं। इतना ही नहीं, बस के अंदर आपातकाल के दौरान संपर्क करने के लिए इमरजेंसी फोन नंबरों की सूची भी चस्पा नहीं कराई गई है। ज्यादातर बसों में तो खिड़कियों के शीशे ही गायब हैं। किसी भी बस में स्टेपनी की सुविधा नहीं है। मानकों को ताक पर रख दौड़ रहीं इन बसों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये होती है वॉल्वो की खासियत
- वॉल्वो एक कंपनी का नाम है, इसकी अत्याधुनिक बसें वॉल्वों के नाम से चलती हैं।
- ये बस पूरी तरह से वातानुकूलित होती हैं, जिसमें यात्री से बैठने अथवा लेटने की सीट के हिसाब से किराया लगता है।
- ये बसें ऑटोमैटिक सिस्टम से लैस होती हैं। जिनकी खिड़कियां और दरवाजे स्वचालित होते हैं।
- बसों में जीपीएस के अलावा दूसरे सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं।
- मैसेंजर सुविधा से लैस होती हैं जो स्टेशन की अग्रिम सूचना स्वत: ही देती हैं। किसी भी बस में एसी और वीडियो कोच या किसी कंपनी का नाम नहीं लिखवाया जा सकता है। यह पूरी तरह से अवैध है। दो दिनों के अंदर विशेष अभियान चलाकर ऐसी सभी बसों की जांच की जाएगी। नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई होगी।
कौशलेंद्र, पीटीओ, मैनपुरी।