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यहां तो अरमानों को ही डुबो देती है बारिश

विकास खंड किशनी में हर साल बाढ़ और कटान में डूब जाती है सैकड़ों बीघा फसल प्रशासनिक स्तर पर नहीं हुए इंतजाम शासन से भी कई बार की गई शिकायतें।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 09:34 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 09:34 PM (IST)
यहां तो अरमानों को ही डुबो देती है बारिश
यहां तो अरमानों को ही डुबो देती है बारिश

मैनपुरी, जागरण संवाददाता। विकास खंड किशनी के लगभग एक सैकड़ा गांव ऐसे हैं जहां की जनता बारिश न होने के लिए ही प्रार्थना करती है। अरिद नदी और बसैत तालाब के किनारे पर बसे गांवों के लिए बारिश किसी आफत से कम नहीं। यहां बरसात किसानों के अरमानों को भिगोने के बजाय उन्हें डुबोकर पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। सालों से कुदरत के कहर को झेलते आ रहे अन्नदाता के दर्द को आज तक शासन और प्रशासन दोनों ही लगातार अनदेखा करते आ रहे हैं।

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बारिश से पहले प्रशासन संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य मुहैया करने की तैयारी में जुट गया है। वहीं दूसरी ओर विकास खंड किशनी में सैकड़ों किसान अपनी फसलों की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। अरिद नदी और बसैत तालाब किनारे रहने वाले किसानों को डर सताने लगा है। हर साल बारिश के सीजन में अरिद नदी उफान पर आती है। इसका खामियाजा किनारों पर बसे खेतों को होता है। बाढ़ का पानी खेतों में पहुंचकर सैकड़ों बीघा फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है। लगभग आधा सैकड़ा गांव इस नदी की चपेट में हर साल आते हैं।

यही हाल बसैत तालाब का भी है। एक हजार बीघा से ज्यादा क्षेत्रफल में फैले इस तालाब में क्षेत्र के छोटे-बडे़ नालों का पानी आकर मिलता है। बारिश में एक साथ कई नालों का पानी मिलने से तालाब का जलस्तर बढ़ जाता है। इससे इसके आसपास बसे हुए लगभग आधा सैकड़ा गांव पूरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं। फसलों से लेकर घर-मकान तक जलमग्न हो जाते हैं। अकेले यह तालाब हर साल लगभग तीन हजार बीघा फसल को तबाह कर देता है। ये गांव होते हैं प्रभावित

अरिद नदी : कमलपुर, मनिगांव, अरसारा, खरगपुर, सवापुर, कुम्हौल, नगला दनू, शमशेरगंज, रतिभानपुर आदि।

बसैत तालाब : हरराजपुर, हरीसिंहपुर, नगला घाटी, समान सहित आधा सैकड़ा गांव। ..तो नहीं डूबेगी हजारों बीघा फसल

किसान ईश्वरदयाल, ध्रुब शाक्य, गोपाल चौहान, गणेश शाक्य आदि का कहना है कि शासन और प्रशासन द्वारा लगातार अनदेखी किए जाने की वजह से बारिश में हालात बदतर हो जाते हैं। बसैत तालाब से जुडे़ नालों की आज तक सफाई नहीं कराई गई है। इसकी वजह से ये पूरी तरह से चोक हो चुके हैं। इन नालों से ही पानी निकलकर सीधा तालाब में मिलता है। बारिश में पानी बढ़ने पर बाढ़ के हालात पैदा होते हैं। यदि नालों की सफाई करा दी जाए तो हर साल होने वाली तबाही रुक सकती है। इसके अलावा किशनी-शमशेरगंज माइनर भी गांव चंदरपुर, बटपरू, हरचंदपुर आदि में कहर बरपाता है। असल में इस माइनर की 2018 में ही मरम्मत कराई गई थी, लेकिन घटिया निर्माण कार्य की वजह से पूरा कार्य ध्वस्त हो गया। तब से स्थितियां बदतर बनी हुई हैं। अरिद नदी के उफान और कटान की समस्या के हल करने के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिससे क्षेत्रीय लोगों और किसानों को मुश्किल नहीं झेलनी पड़ेगी।

गोपालजी यादव, अधिशासी अभियंता नहर विभाग

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