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देह शिवा वर मोहे अहे शुभ करमन तें कभु न डरों

मैनपुरी जासं। खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविद सिंह के प्रकाशोत्सव पर गुरूद्वारा में शबद-कीर्तन और गुरुवाणी का पाठ हुआ। स्वर लहरियों से आसपास का वातावरण झूम उठा तो संगत निहाल हो गई। लंगर चखकर श्रद्धालुओं ने खुद का धन्य किया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 11:10 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 06:04 AM (IST)
देह शिवा वर मोहे अहे शुभ करमन तें कभु न डरों
देह शिवा वर मोहे अहे शुभ करमन तें कभु न डरों

जासं, मैनपुरी: खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविद सिंह के प्रकाशोत्सव पर गुरुद्वारा में सबद-कीर्तन और गुरुवाणी का पाठ हुआ। स्वर लहरियों से आसपास का वातावरण झूम उठा तो संगत निहाल हो गई। लंगर चखकर श्रद्धालुओं ने खुद को धन्य किया।

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गुरुवार को सिख समाज ने गुरु गोविद सिंह का प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया। शहर की पंजाबी कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा में धार्मिक कार्यक्रम की शुरुआत में अखंड पाठ हुआ। ज्ञानी अविनाश सिंह और दिलप्रीत कौर ने संगत को कीर्तन से निहाल किया। समाज के बच्चों ने भी सबद-कीर्तन के माध्यम से गुरु की महिमा का बखान किया। गुरु गोविद सिंह के प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में 26 जनवरी को शहर में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाएगा।

इस मौके पर गुरु गोविद सिंह के किए कार्यो से श्रद्धालुओं को जोड़ा गया। बताया गया कि धर्म की खातिर अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले ऐसे योद्धा का जन्म पटना साहिब में हुआ था। हिदू धर्म की रक्षा के लिए वे दिल्ली में शहीद हो गए। उन्होंने मातृ भूमि की रक्षा के लिए मुगलों से 14 बार युद्ध लड़ा। अपने बच्चों के साथ धर्म पर बलिदान हो गए। गुरुद्वारा में आयोजित कार्यक्रम के मौके पर सरदार रविद्र सिंह, हरदीप सिंह, नाहर सिंह, नरेंद्र कालडा, अंकित छावड़ा, बोबी, महेंद्र सिंह, ओमप्रकाश चांदना, गिन्नी चांदना, दलीप सिंह, अंकित अरोरा, सुखलीन कौर, नरिन्दर कौर, महकप्रीत कौर, जाग्रत, हरभजन आदि का सहयोग रहा।

भोगांव में गुरु गोविद का 353वां जन्मदिवस नगर के गुरुद्वारा में धूमधाम से मनाया गया। सुबह से ही नगर के सिधीगली स्थित गुरुद्वारा में बड़ी संख्या में सिख संगत सहित श्रद्धालु उमड़ने लगे। गुरुद्वारा में सुबह से ही सुखमनि साहिब का पाठ व सबदवाणी का कार्यक्रम शुरू हो गया। सरदार सोहन सिंह ने गुरु गोविद सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा गुरुगोविद सिंह संत के साथ एक वीर योद्धा व कवि भी थे। उनकी शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। युवाओं को उनके आदर्शों व सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी चाहिए। अरदास के बाद लंगर प्रसाद का वितरण किया गया। इस मौके पर जोगेंद्र लाल अरोरा, सरदार सतनाम सिंह, हरवंश लाल अरोरा, बंटी सलूजा, सहेंद्र लाल अरोरा, जीते सलूजा, दलजीत सिंह, सिमरनजीत सिंह, अमित अरोरा, दलजीत कौर, शालू सलूजा, नीलम सलूजा, गोल्डी, रिया, तुषार, रजत सलूजा मौजूद रहे।


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