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नौ में से पांच छुट्टी पर, चार डॉक्टरों ने संभाली ओपीडी

प्रत्येक पर 325 मरीजों की जिम्मेदारी 1300 मरीजों ने कराया पंजीकरण बगैर उपचार लौटे ज्यादातर मरीज आए दिन गहराती है ये दिक्कत।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 10:39 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 06:32 AM (IST)
नौ में से पांच छुट्टी पर, चार डॉक्टरों ने संभाली ओपीडी
नौ में से पांच छुट्टी पर, चार डॉक्टरों ने संभाली ओपीडी

केस एक :

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कस्बा बिछवां निवासी रामवती अपने नाती अभिषेक (9) को खुजली की दवा दिलाने के लिए अस्पताल पहुंचीं। काफी देर तक चक्कर लगाने के बाद भी उपचार न मिला। परेशान होकर बगैर दवा के ही वापस लौट गईं। केस दो :

शहर के महमूदनगर निवासी शाह आलम अपने पुत्र शमीम को उपचार दिलाने के लिए अस्पताल तो गए, लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ न होने के कारण उन्हें भी वापस लौटना पड़ा। मैनपुरी, जागरण संवाददाता। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल में सोमवार को ओपीडी की सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गईं। नौ विशेषज्ञ चिकित्सकों में से पांच अलग-अलग कारणों की वजह से अवकाश पर थे। सिर्फ चार चिकित्सकों के बूते ही मरीजों की डोर छोड़ दी गई। सुबह से ही मरीजों की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई थी। दोपहर तक लगभग 1300 मरीजों ने अपना पंजीकरण कराया, लेकिन मरीजों को डॉक्टर न मिले। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरांग गुप्ता न्यायिक कार्य की वजह से कोर्ट गए थे। डॉ. गौरव दुबे और डॉ. पीके दुबे अवकाश पर थे। सीएमएस डॉ. आरके सागर और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आरके सिंह सरकारी मीटिग के चलते गैर जनपद गए थे। ऐसे में मरीजों को खासी दिक्कतों से जूझना पड़ा। दाद, खाज, खुजली के अलावा बच्चों के उपचार के लिए मरीज भटकते रहे। ज्यादातर तो बगैर इलाज के ही वापस लौट गए। तीन के बूते ओपीडी, एक पर कैंप की कमान

सोमवार को जिला अस्पताल में फिजीशियन डॉ. जेजे राम, चेस्ट फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र सिंह, सर्जन डॉ. गौरव पारिख और अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार ही ड्यूटी पर थे। इनमें से तीन के बूते ओपीडी की जिम्मेदारी सौंपी गई, जबकि अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार को दिव्यांगता कैंप की कमान सौंप दी गई थी। एक साथ कई जिम्मेदारियां

सर्जन डॉ. गौरव पारिख ओपीडी के साथ ऑपरेशन थियेटर की भी जिम्मेदारी देख रहे थे। ऐसे में दिन भर मात्र दो चिकित्सक ही ओपीडी में लगातार बैठ सके। 100 शैय्या से मरीजों को लौटाया

100 शैय्या विग में बाल रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं, लेकिन सोमवार को अधिकांश मरीजों और तीमारदारों को उपचार नहीं दिया गया। पंजीकरण के एक रुपये जमा करा स्लिप तो काट दी गई, लेकिन जब उपचार की बारी आई तो बच्चों को जिला पुरुष चिकित्सालय के लिए भेज दिया गया।


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