मनरेगा से मिल रहा रोजगार, नदियों का हो रहा उद्धार
आव गंगा नदी की सफाई और सुंदरीकरण का काम जारी रहा। सेंगर का काम बंद पड़ा है। हर दिन बरनाहल और करहल के मजदूरों को रोजगार मिल रहा है।
मैनपुरी, जासं। नदी पानी का संरक्षण करती हैं तो लोगों को रोजगार भी देती हैं। इसी सोच के साथ मनरेगा के सहारे जिले की दोनों नदियों को संवारने का काम जोरों पर चल रहा है। आव गंगा नदी में जमा सिल्ट, कूड़ा और झाड़ियों को निकालने में सैकड़ों मनरेगा श्रमिक जुटे हुए हैं। यह काम ग्रामीणों को लगातार रोजगार भी दे रहा हैं। हालांकि पानी आने से सेंगर नदी के उद्धार का काम थम गया है।
जिले में ईशन नदी के अलावा आव गंगा और सेंगर नदी प्रवाहित होती हैं। सालों से उपेक्षा के चलते यह नदियां उपेक्षा का शिकार हो रही थीं। इन नदियों के रास्तों को पाटकर बरनाहल और करहल के दर्जनों किसान नदी की जमीन पर ही खेती करने लगे थे। बीते साल तत्कालीन सीडीओ नागेंद्र शर्मा ने नदियों के सुंदरीकरण की योजना बनाई तो वर्तमान मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया ने इसे अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास किया। हर दिन 400 मजदूरों को रोजगार
आव गंगा और सेंगर नदी को बरनाहल और करहल ब्लाक क्षेत्र में संवारा जा रहा है। आव गंगा को मूल रूप में लाने के लिए बरनाहल में 250 मनरेगा श्रमिक जुटे हुए हैं तो करहल में डेढ़ सौ श्रमिक काम कर रहे हैं। यहां चल रहा काम
करहल ब्लाक के अलावा बरनाहल के गांव हाजीपुर सेमरी, सैयदपुर कैरी, खेड़ा महान और तिरकारा दौलतपुर के अलावा धिडौरा में आव गंगा पर काम चल रहा है।
धीरेंद्र कुमार, बरनाहल-बीडीओ सेंगर का काम रुका
बरनाहल होकर करहल से इटावा जाने वाली सेंगर नदी की सफाई और सुंदरीकरण का काम पानी आने से बंद है। अब एक माह बाद शुरू होगा। फिलहाल आवगंगा नदी की सफाई आदि का कार्य चल रहा है।
ईशा प्रिया, मुख्य विकास अधिकारी