ईशन को पानी की तलाश, काक नदी से हुआ मिलन
मैनपुरी जासं। जिले में कई नदियां कालांतर में कल- कल कर बहती थी। अतिक्रमण और पानी के अभाव में कई का तो अस्तित्व समाप्त हो गया तो ईशन जैसी पौराणिक नदियां बरसाती नाला बन कर रह गई। अब ईशन नदी के लिए पानी की तलाश के दौरान एक और नदी का अस्तित्व सामने आया है। काक नदी के नाम से पहचाने जाने वाली इस नदी का उद्गम और संगम भी मिला है। अब इस नदी के भी पुनरुद्धार की संभावना जागने लगी है।
जासं, मैनपुरी: ईशन नदी के लिए पानी की तलाश के दौरान एक और नदी का अस्तित्व सामने आया है। काक नदी के नाम से पहचाने जाने वाली इस नदी का उद्गम और संगम भी मिला है। अब इस नदी के भी पुनरुद्धार की संभावना जागने लगी है।
सरकारी कर्मचारियों, सामाजिक नागरिकों का साथ लेकर डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने ईशन नदी के पौराणिक अस्तित्व को बचाने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है। वर्षभर ईशन में पानी की उपलब्धता के लिए शहर और देहात क्षेत्रों में डैम बनाने का काम चल रहा है।
काक नदी का मिला अस्तित्व
ककन्या (काक) नदी के नाम से पहचाने जाने वाली इस नदी का उद्गम कुरावली के पास से है। नदी कहां-कहां से होकर गुजरती थी इसकी तलाश की जा रही है। बीते रोज डीएम महेंद्र बहादुर सिंह और डीपीआरओ स्वामीदीन ईशन नदी में आने वाले पानी की तलाश में निकले तो रूपपुर भरतपुर गांव के पास यह नदी दिखी। आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि यह काक है और यहां इसका ईशन से संगम होता है। पानी के अभाव में अब नदी का अस्तित्व समाप्त होने को है। डीपीआरओ ने बताया रूपपुर भरतपुर के पास ईशन नदी जलेबी के आकार में बहती हुई नजर आती है, इसी रास्ते से शहर तक पानी लाने के प्रयास हो रहे हैं, जल्द सफलता मिलेगी।
पानी आया तो किसानों ने लगाए ट्यूबवेल
अब तक पानी से वंचित ईशन नदी किसानों की मददगार बन रही है। नहर, रजवाहों से ईशन में लाए जा रहे पानी को किसान खेतों में ले जा रहे हैं। ट्यूबवेल लगाकर नदी में आ रहे पानी को खेतों में पहुंचाया जा रहा है। इसी वजह से शहर के आसपास नदी में आने वाला पानी अभी तक नहीं पहुंच पा रहा है। अभी डैमों का पानी से भरना बाकी है। नदी में कई डैम हैं, जो ओवरफ्लो होने के बाद पानी आगे बढ़ेगा।