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डॉक्टरों ने की हड़ताल, दो घंटे तड़पते रहे मरीज

गुरुवार देर रात इमरजेंसी में महिला की मौत के बाद तीमारदारों ने किया था हंगामा-हाथापाई सुबह दो घंटे तक बंद रही ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं सुरक्षा के भरोसे पर माने डॉक्टर

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 12:14 AM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 06:24 AM (IST)
डॉक्टरों ने की हड़ताल, दो घंटे तड़पते रहे मरीज
डॉक्टरों ने की हड़ताल, दो घंटे तड़पते रहे मरीज

मैनपुरी, जासं। इलाज के दौरान महिला की मौत से भड़के परिजनों द्वारा की गई मारपीट से भड़के चिकित्सकों ने शुक्रवार सुबह स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर दीं। इमरजेंसी में ताला लगा स्वास्थ्य कर्मियों के साथ धरना पर बैठ गए। दो घंटे तक ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं के बंद रहने से चिकित्सा व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गईं। इलाज के लिए वार्डों में मरीज तड़पते रहे लेकिन चिकित्सक न पसीजे। एसडीएम द्वारा हमलावरों की गिरफ्तारी के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की गई।

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बेवर थाना क्षेत्र के गांव हरजापुर निवासी कृष्णा देवी (40) पत्नी रामरतन सिंह को पेट दर्द और उल्टियां होने के बाद गुरुवार की रात लगभग एक बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। उपचार के कुछ ही देर बाद महिला की मौत हो गई। परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगा हंगामा शुरू कर दिया। आरोप है कि चिकित्सकों और वहां मौजूद दूसरे स्टाफ के साथ हाथापाई भी की गई। रात की घटना को लेकर शुक्रवार की सुबह आक्रोश भड़क गया।

चिकित्सकों ने फार्मेसिस्टों और संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के साथ नारेबाजी शुरू करते हुए इमरजेंसी और ओपीडी में ताला डाल दिया और धरने पर बैठ गए। दो घंटे तक इमरजेंसी और ओपीडी सेवाओं के ठप रहने से वार्डों में भर्ती मरीजों की हालत बिगड़ गई। इमरजेंसी से दो दर्जन मरीजों को बेहद गंभीर हालत में प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ा। बाद में एसडीएम रजनीकांत द्वारा हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद 10:10 बजे स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू किया जा सका। मारपीट के मामले में चिकित्सक धर्मेंद्र सिंह की तहरीर पर भूपेंद्र सिंह व अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। सीएमएस ने संभाली कमान

बुखार, डायरिया और खून की कमी की वजह से भोगांव थाना क्षेत्र के मुहल्ला भीमनगर निवासी प्रांशी (5) पुत्री प्रेमपाल को दो दिन पहले भर्ती किया गया था। शुक्रवार को उसकी हालत बिगड़ गई। सांस उखड़ने लगी। परेशान मां सुनीता ने डॉक्टरों और स्टाफ नर्सों के हाथ जोड़कर इलाज की गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई न हुई। बेटी की जान बचाने को बेबस मां बच्ची को हाथ में उठाकर इमरजेंसी की ओर मदद के लिए दौड़ पड़ी। आंसुओं पर जब हड़ताली चिकित्सकों का मन न पसीजा तो खुद सीएमएस डॉ. आरके सागर ने डॉ. आरके सिंह और डॉ. पीके दुबे के साथ इमरजेंसी की कमान संभाली। खुद ही ड्रिप लगाई और दोबारा वार्ड में भर्ती कराया।


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