डॉक्टर ने थामी कुदाल, डलावघर हटा लगाई बगिया
मैनपुरी जासं। डॉक्टर का धर्म है इलाज फिर चाहे वह इंसान का हो या समाज का। गंदगी फैलाने में अभ्यस्त समाज को डॉक्टर ने सीख दी है। स्टेथोस्कोप लगा इलाज किया तो कुदाल थामकर डलावघर की जगह बगिया लगा दी। अब उनकी पहल से दूसरे भी प्रेरणा ले रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मैनपुरी: डॉक्टर का धर्म है इलाज, फिर चाहे वह इंसान का हो या समाज का। गंदगी फैलाने में अभ्यस्त समाज को डॉक्टर ने सीख दी है। स्टेथोस्कोप लगा इलाज किया तो कुदाल थामकर डलावघर की जगह बगिया लगा दी। अब उनकी पहल से दूसरे भी प्रेरणा ले रहे हैं।
100 शैय्या मातृ एवं शिशु सुरक्षा अस्पताल में चिकित्साधिकारी डॉ. अभिषेक दुबे का हरियाली के प्रति लगाव एक सीख बन गया है। चार साल पहले उन्हें जिला अस्पताल के पीछे रहने को सरकारी आवास दिया गया। आवास क्या था, चारों तरफ गंदगी के ढेर। पूरी कॉलोनी का कचरा यहां खाली पड़ी जगह पर डाला जाता था। चिकित्सक ने इसे बदलने का निश्चय कर लिया।
पहले लोगों को कचरा न डालने के लिए समझाया। बात नहीं बनी तो खुद खर्च कर सफाई कराई। जमीन को समतल कराया और फिर कचरे का ढेर न लगे इसके लिए चारों ओर फैंसिंग कराई। अब बारी थी हरियाली उगाने की। दिल्ली से घास मंगाकर लगाई। फूल और छायादार पौधे लगाए। गंदगी के लिए बदनाम इस जगह आज बगिया लहलहा रही है।
हरियाली दिखा देते हैं संदेश:
बगिया में बदला डलावघर हरियाली के संदेश को रोल मॉडल बन गया है। डॉ. दुबे मरीजों के स्वजनों को इसे दिखा पौधरोपण के लिए प्रेरित करते हैं। स्वच्छता की अहमियत समझाते हैं। बेहतर स्वास्थ्य का सुंदर पर्यावरण से रिश्ता भी समझाते हैं।
अन्य चिकित्सक भी ले रहे प्रेरणा:
डॉ. दुबे की पहल के बाद कैंपस में रहने वाले दूसरे चिकित्सक भी पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़ रहे हैं। कई चिकित्सकों ने अपने आवासों में पौधरोपण कर गंदगी निस्तारण के प्रयास किए हैं।