अस्पताल से चिकित्सक गायब, भटक रहे मरीज
दो बजे तक है इलाज का वक्त एक बजते ही कमरे छोड़ गए डॉक्टर परेशान रहे मरीज प्राइवेट अस्पतालों में कराना पड़ा उपचार।
दृश्य एक: दोपहर 1:05 बजे, कमरा नंबर 10 खाली पड़ा हुआ है। चिकित्सकों की तीन कुर्सियां बिछी थीं, लेकिन न तो फिजीशियन थे और न ही कोई परामर्शदाता। खाली कुर्सियां देख मरीजों को बिना उपचार ही लौटना पड़ा। दृश्य दो : दोपहर 1:07 बजे आयुष्मान भारत कक्ष में ताला लटक था। त्वचा रोग विशेषज्ञ को दिखाने पहुंची महिला थककर दरवाजे के सामने जमीन पर ही सो गई। मैनपुरी, जागरण संवाददाता। चुनावी मौसम के साथ स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ने लगी हैं। जिला चिकित्सालय की स्थिति तो बेहद खराब हो रही है। गुरुवार को दिन भर में लगभग साढे़ आठ सौ मरीजों ने अपना पंजीकरण कराया। नियम है कि दोपहर दो बजे तक चिकित्सक अपने कक्षों में बैठकर उपचार देंगे, लेकिन गुरुवार दोपहर एक बजे ही कमरे खाली हो चुके थे। पंजीकरण कराने वाले मरीज परामर्श के लिए भटक रहे थे। न तो कमरा नंबर दो में अस्थि रोग विशेषज्ञ थे, न सर्जन और न ही फिजीशियन। चिकित्सकों के न होने के कारण ज्यादातर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की शरण लेनी पड़ी। मजाक बने हैं सीसीटीवी: व्यवस्था की निगरानी के लिए जिला चिकित्सालय में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं, लेकिन इनसे आज तक निगरानी का काम ही नहीं हुआ। ज्यादातर कैमरे खराब पड़े हैं। यही वजह है कि न तो चिकित्सकों की मनमानी पता चल रही है और न ही मरीजों की परेशानी। ड्यूटी टाइम में निजी डिस्पेंसरी: कुछ चिकित्सक ड्यूटी समय में अपनी निजी डिस्पेंसरी का संचालन करते हैं। गंभीर मरीजों को घर पर आने की सलाह देने वाले ये चिकित्सक कई बार विवादों में रह चुके हैं, लेकिन आज तक अस्पताल प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। चिकित्सकों को हिदायत दी जा चुकी है। वे हर हाल में निर्धारित समय तक अपने कमरों में बैठकर मरीजों को देखेंगे। यदि कोई चिकित्सक गायब रहते हैं तो मरीज सीधे उनकी शिकायत कर सकते हैं। उपचार के साथ ऐसे चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।
डॉ. आरके सागर
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
जिला चिकित्सालय, मैनपुरी।