मच्छर मारने के चक्कर में कहीं मिल न जाए बीमारी
जलभराव के बीच टेमीफोस के लड्डू फिकवा रहा विभाग हाथों से मिलाई जा रही है मिट्टी में दवा
जासं, मैनपुरी : मच्छरों के लार्वा को मारने के लिए स्वास्थ्य विभाग टेमीफोस दवा के छिड़काव के साथ उसके मिश्रण से लड्ड बना पानी में फिकवा रहा है। लेकिन, इसके मिश्रण को तैयार करने वालों को सुरक्षा उपकरण ही उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। हाथों से ही गीली मिट्टी में टेमीफोस दवा को मिलाकर उसके लड्डू तैयार कराए जा रहे हैं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी लोगों पर भारी पड़ सकती है। इस काम को करने वाले व्यक्ति विषाक्तता के शिकार हो सकते हैं।
जिले में डेंगू और मलेरिया का कहर है। कई मौतें हो चुकी हैं जबकि बड़ी संख्या में मरीज गंभीर हैं। विभाग इसके लिए मच्छरों के लार्वा को वजह मानता है। इन्हें मारने के लिए टेमीफोस दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। लेकिन, उन स्थानों पर छिड़काव में समस्या हो रही है जहां दूर-दूर तक वर्षों पुराना जलभराव है। ऐसे स्थानों के लार्वा को मारने के लिए उनमें दवा फेंकने की व्यवस्था कराई गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा टेमीफोस के घोल को मिट्टी में डालकर उसका मिश्रण तैयार किया जा रहा है। इस मिश्रण से ही लड्डू बनाए जा रहे हैं।
फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि टेमीफोस का प्रयोग मच्छरों को मारने के लिए होता है। यह विषाक्त होता है। यदि व्यक्ति इसके सीधे संपर्क में आता है तो शरीर में विषाक्तता के लक्षण उभर सकते हैं। मसलन जी घबराना, उल्टियां आना, चक्कर आना, सिर दर्द और पेट में दर्द व जलन आदि। विषाक्ततता का प्रभाव ज्यादा होने पर ऐसे व्यक्ति को भर्ती करना पड़ता है।