कोमा में सीटी स्कैन, वेंटिलेटर पर आइसीयू
वर्षों से बंद पड़ी हैं जिला अस्पताल में रखीं अत्याधुनिक मशीनें।
मैनपुरी : कौन कहता है जिला अस्पताल में सुविधाएं नहीं हैं। जोखिम से जूझती ¨जदगी को बचाने के लिए हर साज-ओ-सामान मौजूद है। लेकिन, बदहाली की मार ने इंतजामों को ठप कर रखा है। विशेषज्ञों की कमी और तकनीकी खामी की वजह से यहां रखीं अत्याधुनिक मशीनें धूल फांक रही हैं। बार-बार कहने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई।
टूटी हड्डियों की स्पष्ट तस्वीर खींचने के लिए 2015 में डिजिटल एक्स-रे मशीन उपलब्ध कराई गई। कुछ महीनों तक चलने के बाद अब इसका संचालन भी बंद हो गया है। ज्यादातर समय कक्ष के बाहर ताला ही लटकता रहता है। वर्षों पुरानी मशीनों से एक्स-रे खींचे जा रहे हैं। जो खुद अस्पताल के चिकित्सकों की समझ में नहीं आते। अल्ट्रासाउंड मशीन भी वर्ष 2014 से बंद पड़ी हुई है। पहले तकनीकी खामी बता जिम्मेदार पल्ला झाड़ते रहे। उसके बाद अब तकनीशिनयन न होने की बात कहकर मरीजों को लौटाया जा रहा है।
अप्रैल 2013 में सदर विधायक राजू यादव ने सीटी स्कैन मशीन का उद्घाटन किया था। आठ से 10 मरीजों का स्कैन करने के बाद मशीन में तकनीकी खामी बताकर उसे बंद करा दिया गया। इतना ही नहीं, 2015 से आइसीयू वार्ड में भी कोई मरीज भर्ती नहीं हुआ। यहां सभी प्रकार की आधुनिक मशीनें हैं लेकिन किसी भी मरीज को इसका लाभ नहीं दिया जाता। ये है बाजार के रेट: ब्लैक एंड व्हाइट अल्ट्रासाउंड 500 रुपये।
कलर अल्ट्रासाउंड 700 रुपये।
सीटी स्कैन तीन हजार रुपये से 3200 रुपये तक।
सामान्य एक्स-रे 500 रुपये।
डिजीटल एक्स-रे 700 से 800 रुपये।
आइसीयू एक दिन का 15 हजार से 20 हजार रुपये के बीच।