ऐ गोरक्षकों, तुम्हें पुकार रहा बेसहारा गोवंश
सरकारी आश्रय स्थलों में कराह रहीं बीमारी से, तड़प रही भूख से, चारा-दाना को आगे हाथ फैला रहा पालिका प्रशासन।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। तुम तो गो रक्षक हो। तुमने तमाम गोवंश को मौत के मुंह से बचाया है। किसी हादसे में अगर जख्म भी हो गया तो डॉक्टर को बुलाकर मरहम भी लगवाया है। गोवंश फिर परेशान हैं। वो बीमारी से कराह रहा है। भूख से व्याकुल है। आओ, इनकी देखभाल करो।
जिला में गोरक्षकों की लंबी-चौड़ी फेहरिस्त है। विगत में तमाम ऐसे वाकये हुए जब गोवंश की रक्षा के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया था। वाहनों में भूसे की तरह से ठूंसे गए गोवंश को गोरक्षकों ने ही मुक्त कराया। गोमांस पकड़े जाने की खबर पर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रशासन से लड़े। धरना दिया, आंदोलन किए। अब ऐसे ही हालात हैं। सरकारी आश्रय स्थल पर बेसहारा गोवंश लाए गए हैं। पिछले आठ दिनों के दौरान ही आधा दर्जन गोवंश दम तोड़ चुके हैं। कारण, खेतों से भगाने के लिए उन पर इतने हमले किए गए कि जख्म उसकी गवाही दे रहे हैं। इलाज नहीं मिला तो जख्म और गहरे होते गए। तमाम गोवंश जिंदगी-मौत से जूझ रहा है। उनको भरपेट दाना-चारा भी नहीं मिल पा रहा है। नगर पालिका द्वारा ट्रांसपोर्ट नगर में बनवाई गई सरकारी गोशाला की तो स्थिति ही अजब हो गई है। इन दिनों लगभग 1300 गोवंश गोशाला में रखे गए हैं। चारे का बजट न आने के कारण जिम्मेदारों को उनके खाने के लिए दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है। प्रशासन ने चारा और पानी के लिए लोगों से अपील की है, लेकिन अभी तक किसी भी गोरक्षक ने गोशाला में पल रहीं बेसहारा गायों और बछड़ों की देखभाल को पहल नहीं की है। रोजाना 60 कुंतल चारा की जरूरत: पालिका प्रशासन का कहना है कि गोशाला में बंद बेसहारा गोवंश की देखरेख और चारा-दाना के लिए रोजाना लगभग 60 कुंतल भूसा की जरूरत है, लेकिन खुराक कम होने के कारण अभी 40 कुंतल भूसा की ही आवश्यकता पड़ रही है।