रोडवेज का अड्डा, डग्गेमारों की सवारी
दिन ढलते ही बसें बेखौफ भरने लगती हैं सवारियां जिम्मेदार दे रहे संरक्षण।
जासं, मैनपुरी: लाखों की लागत से शहर के बीचों-बीच आधुनिक अंतरराज्यीय बस स्टेशन का निर्माण कराया गया। दावा किया कि यहां यात्रियों को सारी सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन, सुविधाएं तो दूर समय पर बसों का मिलना भी मयस्सर नहीं हो रहा है। विभागीय गठजोड़ में दिन ढलते ही डग्गामार बसों का डेरा पड़ जाता है।
शहर के रोडवेज बस स्टेशन पर रोजाना रात आठ बजे के बाद डग्गेमार बसें अपना डेरा जमा लेती हैं। चालक-परिचालक दबंगई के बूते सवारियों को बिठाते हैं। रोजाना यही हालात बनते हैं, लेकिन अब तक डग्गेमारों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कराई गई। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रदीप कुमार ने यहां पुलिस की पिकेट लगाने के निर्देश देते हुए डग्गामारों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई थी। साफ कहा था कि आसपास से सवारियां भरने वाली प्राइवेट बसों और दूसरे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। रोडवेज को हर दिन दो से ढाई लाख घाटा: एसएसआइ रोडवेज अनवर बेग का कहना है कि मैनपुरी डिपो से 72 रोडवेज बसों का संचालन अलग-अलग रूटों पर हो रहा है। प्रतिदिन की आय लगभग छह से सात लाख रुपये ही है। लेकिन, डग्गेमारों की वजह से रोजाना दो से ढाई लाख रुपये का घाटा होता है। इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए कई बार लिखा गया, लेकिन कोई कार्रवाई न हो सकी। इन रूटों पर दौड़ती हैं: मैनपुरी बस स्टेशन से आगरा, फीरोजाबाद, दिल्ली, एटा, कानपुर, बेवर, भोगांव के अलावा फर्रुखाबाद सहित दूसरे रूटों पर भी डग्गामार बसें सवारियों को ढो रही हैं। डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गई है। बस स्टेशन और उसके रूटों के आसपास खड़ी होने वाली डग्गामार बसों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।
हरिदास, एआरएम, मैनपुरी डिपो।